नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी
जानकीनाथ के घर जन्म लिया, महाबलिदानी ने,
हुई माँ धन्य, प्रभावती कहे गीता स्ववाणी से।
भरा था वीरता और शौर्य बड़ा मेधावी था बालक,
लिखूँ कुछ शब्द सुभाष जी की अमर कहानी से।।
इस क्रांतिकारी लाल को अन्याय न भाता था,
हित हो जिसमें जनता का वही हर कार्य सुहाता था।।
करें युवाओं को संबोधित स्वतंत्रता की खातिर,
जली जो आजादी की अलख, हर घर पहुँचाना था।।
था विश्वास नेताजी को अति दृढ़ अनन्य बहु,
बुरे विचार रहे सब दूर जातिभेद मिटाना था।
भगाना है अंग्रेजों को जय हिंद का नारा था,
उठो आजाद हिंद की फौज यही बस नाम पुकारा था।।
तुम मुझे खून दो भाइयों आजादी दिलाऊँगा,
कहे हृदय से नेता तुम्हारा सिर न झुकाऊँगा।
कफन बाँधकर निकल पड़े आजादी के दीवाने,
बहा दूँ खून का दरिया मुक्त माँ को कराऊँगा।।
करूँ मैं नेताजी को याद भरे श्रद्धा के पुष्पों को,
दिलाई सबको आजादी कहे भारत की सब जनता।
नमन है वीर सपूत को जिन्हें कहते सुभाष जी,
सुनो भारत माता के पुत्र तेरा जाना हमें खलता।।
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
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