बाल दिवस

आओ बाल दिवस नए रूप में मनाएँ,

नन्हें मुन्नों को सही रास्ता दिखाएँ।

भटकें नहीं कभी भी हमारे बच्चे,

सत्पथ पर चलना उन्हें बताएँ।।


जीवन बगिया के ये नन्हें फूल,

इनसे ना हो कभी कोई भूल।

उपवन हमारा ये महकाएँ,

फूल बनकर महकें, बनें न शूल।।


ज्ञान की ज्योति हमको जलाना,

बाती बन हमें खुद को मिटाना।

जीवन को उनके एक दिशा दे जाएँ,

अज्ञानता को जड़ से  है मिटाना।।


नेहरु जी को बच्चे थे प्यारे,

उनको लगे सदा ही न्यारे।

जन्मदिवस बच्चों को किया समर्पित,

बच्चों के लिए अरमान थे सारे।।


मुश्किल से लड़ना इन्हें बतलाएँ,

नींव देश की सुढृढ़ बनाएँ।।

देश के प्रति सम्मान हो उनमें,

ऐसी शिक्षा हम उन्हें दे जाएँ।।


भविष्य के खेवनहार हैं बच्चे,

सदाचार का आधार हैं बच्चे।

अपने पराए में अंतर समझें,

आशा की किरण हैं नन्हें मुन्ने बच्चे।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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