झाँसी की रानी
लक्ष्मीबाई थीं 1857 की युद्ध की
एक मुख्य स्वतंत्रता सेनानी
दाँत खट्टे कर दिए उन्होंने अंग्रेजों के
दिला दी थी याद उनको नानी
19 नवंबर सन 1818 को वाराणसी में
भागीरथी बाई और मोरोपंत के घर में जन्म लिया
बचपन का नाम था उनका मणिकर्णिका
चंचल सुंदर मनु बाई को बाजीराव दरबार में छबीली नाम मिल गया
सन 1842 में राजा गंगाधर राव संग दुल्हन बन वो झाँसी आईं
नाम दिया गया वहाँ लक्ष्मीबाई
जन्म दिया एक पुत्र को पर न उसे बचा पाईं
अंग्रेजी सरकार ने अपनी हड़प नीति के तहत
उनके दत्तक पुत्र के खिलाफ मुकदमा किया दायर
नहीं हारी उन्होंने हिम्मत, की राज्य की रक्षा
टकरा गई बहादुरी से अंग्रेजों के साथ नहीं थीं वह कायर
तात्या टोपे और अली बहादुर द्वितीय ने भी
रानी की मदद हेतु अपने सेना की भिजवाई
बहादुरी से लड़कर मौत के घाट उतारा दुश्मनों को
18 जून 1858 को झाँसी की रानी ने वीरगति थी पाई।
रचयिता
भावना तोमर,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय नं०-1 मवीकलां,
विकास खण्ड-खेकड़ा,
जनपद-बागपत।
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