ज्योतिबा फुले
आज का ही वह था काला,
अस्त हुआ क्रान्तिसूर्य निराला।
सन् अठारह सौ नब्बे को
आओ नमन करें हम उनको।।
जोतिराव गोविन्दराव जी,
ज्योतिबा फुले कहलाए।
जन्मे 11 अप्रैल 1827 को,
राष्ट्रभूमि का मान बढ़ाए।।
हृदय तल से करें प्रणाम,
पिता का नाम गोविंद राम।
दार्शनिक यशस्वी थे निराले,
आम नहीं थे इनके काम।।
स्थापित किया जिन्होंने,
था सत्यशोधक समाज।
स्त्री शिक्षा पर दिया जोर,
हुई प्रासंगिक जो आज।।
बिना पुरोहित हो सकता है,
विवाह का संस्कार पवित्र।
बाल विवाह का किया विरोध,
फुले ने समाज के हित।।
विधवा विवाह का किया समर्थन,
लिखी थीं पुस्तकें तृतीय रत्न।
किसान का कोड़ा, गुलामगिरी,
और कैफियत अछूतों की।।
एग्रीकल्चर एक्ट सुनो,
संघर्ष है इनका दिखलाता।
स्त्री शिक्षा के आद्य जनक,
यह गौरव भी फुले को जाता।।
भेदभाव का दंश बुरा,
जोतिराव थे समझाए।
पत्नी सावित्रीबाई को पहली,
महिला अध्यापिका बनाए।।
महापरिनिर्वाण दिवस है,
याद करें आओ उनको।
जो बने पुरोधा थे समाज के,
महात्मा उपाधि मिली इनको।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
Very nice
ReplyDeleteSuper
प्रेरणास्रोत से ओत प्रोत