देव दीपावली
दीपावली के बाद में, देव दीपावली मने,
कार्तिक पूर्णिमा को ही, इसको मनाइए।।
बनारस में गंगा घाट, दीपक देखे हैं बाट,
लाखों दीप जगमग, शोभा तो निहारिए।।
देवी देवता उतरे, इस दीवाली देखने,
पौराणिक कथा है ये, सभी इसे जानिए।।
त्रिपुरासुर संहारे, सब शिव के सहारे,
काशी परंपरा है ये सब को बताइए।।
माँ गंगा का सम्मान है, संस्कृति का ये मान है,
स्वर्ग लोक दीप जले, मगन हो जाइए।।
राजा दिवोदास रोके, प्रवेश देवताओं के,
शिवजी बदले रूप, कार्य पूर्ण कीजिए।।
कार्तिक महोत्सव है, सूर्यास्त दीप जले हैं,
मांस की परिणति है, दर्शन भी कीजिए।।
वाराणसी का यह है, खास महोत्सव यह है,
आगंतुक निहारे हैं, महिमा बखानिए।।
रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।
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