विश्व दयालुता दिवस

है व्याप्त समाज में

क्रूरता और अक्खड़पन

ढूँढता फिरता है चहुँओर

हर इंसां सिर्फ़ अपनापन


अरे जो तुम बाँटते हो

वही तो तुम पाओगे

ख़ुद बने रहोगे नीम जैसे

तो औरों को मिश्री सा कैसे पाओगे


नहीं कर सकते जिसे हासिल

तुम तलवार से

वो मिल जाएगा तुम्हें

महज़ दया और प्यार से

जीत सकते हो ये दुनिया

तुम अपने दयालु व्यवहार से


सौम्यता, सज्जनता और दया

इन बीजों को अगर ख़ुद में बोओगे

इनके विकसित होने पर देखना

कैसे तुम इस दुनिया को जीत जाओगे। 


रचयिता

भावना तोमर,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय  नं०-1 मवीकलां,

विकास खण्ड-खेकड़ा,

जनपद-बागपत।



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