आ जाइए

तर्ज-कौन कहता है भगवान आते नहीं


कृष्ण फिर से धरा पर आ जाइए।

कष्ट सारे हमारे हर जाइए।


जग में हाहाकार मची है प्रभु,

थोड़ा सा सुकून हमको दे जाइए।

कृष्ण फिर से ..........


हाथ जोड़े खड़े हैं कब से प्रभु,

कृपा अपनी हम पर बरसाइए।

कृष्ण फिर से ..........


राह भटके हैं हम सब फिर से प्रभु,

ज्ञान गीता का हमको दे जाइए।

कृष्ण फिर से ..........


बढ़ रहा पाप जग में फिर से प्रभु,

संहार दुष्टों का कर जाइए।

कृष्ण फिर से .........


आस लगाए खड़े हैं कब से प्रभु,

ख्वाहिश पूरी हमारी कर जाइए।

कृष्ण फिर से ..........


लालसा है ना मन में धन की प्रभु,

प्रेम का वर हमको दे जाइए।

कृष्ण फिर से ..........


चलें सन्नमार्ग पर हम सदा ही प्रभु,

ज्ञान चक्षु हमको दे जाइए।

कृष्ण फिर से ..........


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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