आगे बढ़ते जाना है

अंजान सफ़र, लम्बी है डगर

पर आगे बढ़ते जाना है

तुम्हें आगे बढ़ते जाना है।


यदि डर लगे मुश्किलों से

याद करना बालक भरत को तुम

शेर के दांत गिने जिसने

वीरों में नाम लिखाया था

भरत से भारत कहलाया था।


यदि हिचको आज्ञा पालन से

याद करना बालक आरुणि को तुम

शरीर को ही मेढ़ बनाया था

बहते पानी को हराया था

आज्ञाकारी आरुणि कहलाया था।


यदि झिझको पितृभक्ति से 

याद करना बालक श्रवण को तुम

अन्धे माँ बाप को कांधे बिठाया था,

सारे तीरथ करवाया था

पितृभक्त श्रवण कहलाया था।


यदि कायरता के शिकार बनो

याद करना बालक अभिमन्यु को तुम

अकेले ही चक्रव्यूह ढहाया था

पांडवों का मान बढ़ाया था

वीर अभिमन्यु कहलाया था।


यदि मन ना लगे गुरु भक्ति में

याद करना बालक एकलव्य को तुम

मिट्टी की मूरत को गुरु बनाया था

अँगूठा गुरु दक्षिणा में गँवाया था

गुरु भक्त एकलव्य कहलाया था।


तुम भी इस देश का मान बनो

इस भारत की पहचान बनो

कुछ कर जाओ तुम भी ऐसा

चमको जग में ध्रुव के जैसा


रचयिता

रीता गुप्ता,
सहायक अध्यापक, 
मॉडल प्राइमरी स्कूल बेहट नंबर-एक,
विकास क्षेत्र-साढोली कदीम,
जनपद-सहारनपुर।

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