बाल दिवस
आओ बालदिवस हम मनाएँ रे,
नन्हे मुन्नों को गले से लगाएँ रे।
नन्हें पौधों को वृक्ष बनाएँ,
माली का हम धर्म निभाएँ।
उपवन अपना महकाएँ रे,
नन्हें मुन्नों को गले से लगाएँ रे।
आओ बालदिवस.........
ज्ञान की ज्योति हम बन जाएँ,
बन बाती हम खुद को जलाएँ।
जग से अज्ञान जड़ से मिटाएँ रे।
नन्हें मुन्नों को गले से लगाएँ रे।
आओ बालदिवस.........
हर मुश्किल से लड़ना सिखाएँ,
कभी ना डरना ये बतलाएँ।
जीवन उनका सुखमय बनाएँ रे।
नन्हें मुन्नों को गले से लगाएँ रे।
आओ बालदिवस.........
नींव भारत की सुदृढ़ बनाएँ,
अपने देश का मान बढ़ाएँ।
देशभक्ति उनमें जगाएँ रे,
नन्हें मुन्नों को गले से लगाएँ रे।
आओ बालदिवस.........
अच्छा नगरिक उनको बनाएँ,
जीवन जीना उन्हें सिखलाएँ।
सदाचार का पाठ पढ़ाएँ रे।
नन्हें मुन्नों को गले से लगाएँ रे।
आओ बालदिवस.........
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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