पर्यावरण संरक्षण अपनाओ रे
पर्यावरण संरक्षण अपनाओ रे।
जन-जन में भावना जगाओ रे।।
कल कल करतीं नदियाँ प्यारी।
सुंदर लगती है धरती सारी।।
इस सुंदरता को बचाओ रे ।
जन-जन में............
पर्यावरण संरक्षण.........
हैं महीधर हमारे रक्षक।
शत्रु न बन पाएँगे भक्षक।।
अटल प्रहरी इन्हें पुकारो रे।
जन-जन में .........
पर्यावरण संरक्षण.........
कानन जीवों का घर जंगल।
रहते जीव मनाते मंगल।।
खुशहाली इनकी न मिटाओ रे।
जन-जन में.........
पर्यावरण संरक्षण.........
फल लकड़ी छाया के दाता।
वृक्ष हमारे हैं जीवन दाता।।
मिलकर वृक्ष लगाओ रे।
जन-जन में.........
पर्यावरण संरक्षण.........
फूल औषधि करें प्रदान।
पौधे झाड़ियाँ होते महान।।
तुलसी गिलोय भी लगाओ रे।
जन-जन में .........
पर्यावरण संरक्षण.........
मधुर स्वरों से मन हरषाते।
खग प्यारे हम सबको जगाते।।
आखेटक को भगाओ रे।
जन-जन में.........
पर्यावरण संरक्षण.........
वायु से साँसें हैं चलती।
अशुद्ध हवा से साँसें घटती।।
वायु प्रदूषण न फैलाओ रे।
जन-जन में .........
पर्यावरण संरक्षण .........
जल जीवन कहलाता है।
अभाव में जीव न जीता है।।
जल संचय अपनाओ रे।
जन-जन में.........
पर्यावरण संरक्षण.........
पर्वत नदियाँ झरने नभचर।
हमारे लिए जरूरी चराचर।।
पर्यावरण संरक्षण की ठानो।
कहे लेखनी बात यह मानो।।
जीवन सबका बचाओ रे।
जन-जन में .........
पर्यावरण संरक्षण.........
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
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