गोवर्धन पूजा
अन्नकूट, गोवर्धन पूजा दोनों एक ही नाम,
दीपावली के अगले दिन इस पूजा का विधान।
भारतीय लोक जीवन में इसका बड़ा महत्व,
प्रकृति के साथ मानव का संबंध का प्रावधान।।
गौ माता की पूजा का शास्त्रों में व्याख्यान,
संपूर्ण मानव के लिए पूजनीय गौमाता महान।
कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा होती गोवर्धन पूजा,
प्रतीक के रूप में करते हैं गाय की पूजा।।
श्री कृष्ण ने उठाया गोवर्धन पर्वत बचाने को जान,
मूसलाधार वर्षा से लोग थे हलाकान।
7 दिन बाद श्री कृष्ण ने पर्वत रखा धरा पर,
तभी से अन्नकूट उत्सव मनाने का आया फरमान।।
इंद्र के अभिमान को किया चकनाचूर,
धराशायी हो गया इंद्र का तब गुरुर।
देख श्रीकृष्ण का प्रताप इंद्र थे शर्मिंदा,
श्री कृष्ण की पूजा का भोग लगाए छोड़ा अहंकार।।
पौराणिक घटना ने दिया इस पूजा को आयाम,
लेटे हुए पुरुष की आकृति में बनाया इसका काम।
विभिन्न आकृतियों में सजाया, की पूजा विधि पूर्ण,
लक्ष्मी जी की कृपा से धन धान्य का हो आगमन।।
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