आई फिर दीवाली
हर्ष सुखद उल्लास लिए,
जीवन की मधु आस लिए।
आई फिर यह दीवाली।
अभिनव संदेश सुनाने वाली।।
है संस्कृति अनमोल हमारी,
यह आदि सनातन प्यारी।
जीवन बोध कराने वाली,
मानवता सिखलाने वाली।।
सत्य, प्रेम, सहिष्णुता,
हो समता व समरसता।
हर ओर शान्ति खुशहाली,
हो प्रगति नवल नव आली।।
टूटें बंधन और विवशता,
हो प्रज्ञा आलोक बिखरता।
हर अंचल में बिखरे लाली,
बीते विभा अमा की काली।।
रचयिता
सतीश चन्द्र "सौमित्र"
प्रभारी अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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