भाई दूज
तर्ज- तेरी आंख्या का यो काजल...
बहना की ममता का यो आँचल
मने बोले से वो पागल
तू तिलक लगा दे मुझको
तेरी लाज बचाऊँ हर पल
ओ मने पल पल पल चिंता तेरी तड़पावे से हाय,
जो आँख उठे तुझ पर अंधी हो जावे से!
ओ मने पल पल पल चिंता तेरी तड़पावे से हाय,
जो आँख उठे तुझ पर अंधी हो जावे से!!
भाई- बहन का रिश्ता ही कुछ खास होता है,
तकलीफ में हो बहना तो भाई साथ होता है!
भाई- बहन का रिश्ता ही कुछ खास होता है,
तकलीफ में हो बहना तो भाई साथ होता है!
मेरी जिंदगी मे आके
मुझको एहसास दिलाया
कभी दोस्त कभी माँ बनकर
मुझको जीना सिखलाया
ओ मने पल पल पल चिंता तेरी तड़पावे से,
जो आँख उठे तुझ पर अंधी हो जावे से!
ओ मने पल पल................................
जो आँख उठे...................................
कुमकुम और अक्षत से मै तिलक भी करवाऊँ
तेरी खुशी की खातिर, मैं जग से लड़ जाऊँ
वो गुजरा हुआ जमाना
लड़ जाना और मनाना
हर एक मुश्किल को डटकर
है खुद से दूर भगाना
ओ मने पल पल पल चिंता तेरी तड़पावे से,
जो आँख उठे तुझ पर अंधी हो जावे से!
ओ मने पल पल पल चिंता तेरी तड़पावे से,
जो आँख उठे तुझ पर अंधी हो जावे से!!
रचयिता
अंकुर पुरवार,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय सिथरा बुजुर्ग,
विकास खण्ड-मलासा,
जनपद-कानपुर देहात।
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