भाई दूज
कार्तिक शुक्ल की द्वितीय तिथि आता यह त्योहार,
भैया दूज प्रतीक है भाई बहन का प्यार।
रोली अक्षत थाल सजाए मिठाईयों का भोग,
भाई मेरा खुश रहे, सदा रहे निरोग।
कार्तिक शुक्ल की तिथि को यमुना ने भाई को मनाया,
निमंत्रण देकर भाई को वचनबद्धकर बुलाया।
यमुना माँगे अपने भाई से एक ही वर आज,
भाई कराए बहन से टीका, रुके न कोई काज।
भाई बहन का पावन रिश्ता यह त्योहार दर्शाता,
उपहार एक निमित्त मात्र है प्रेम का महत्व बताता।
जीवन की कठिन डगर पर साथ ना भाई छूटे,
संसार सागर में भाई की नाव कभी ना टूटे।
विपदा दूर रहे हरदम, मन उपवन हो खिला,
प्रीत की डोर का है बंधन, प्यारा भाई मुझे मिला।
भूलें बचपन के वह झगड़े छूट गया अब साथ,
बीती यादों से मन सजाए, छूटे न मन का साथ।
ना माँगूँ मैं हिस्सा भैया, मायका मेरा भरा रखना,
आए दूज का त्योहार मुझको याद सदा रखना।
मम्मी पापा के प्यारे घर में मेरी याद संजोए रखना,
बेटी हूँ मैं इस घर की, यह सम्मान बनाए रखना।
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