शेरू
शेरू है मेरा प्यारा दोस्त
हम दोनों खेलते साथ-साथ।
जब नहीं होता मैं उसके पास
वो रहता है उदास।
जब मैं होऊँ उसके सम्मुख
तब वह रहता बहुत खुश।
रखवाली करता बिना पगार
वो है हमारे घर का चौकीदार।
जब पापा घर आएँ
जोर-जोर से पूँछ हिलाए।
दूध रोटी वो खाए
और कुछ नहीं उसको भाए।
बाहर का कोई घर में आए
भौं-भौं करके उसे डराए।
कूद-कूद कर मेरे साथ खेले
तब वो चाहता है कोई न बोले।
मैं जाऊँ जहाँ-जहाँ
वो जाए मेरे साथ।
मैं चाहता हूँ वो रहे हरदम मेरे पास
और कभी न हो वो उदास।
रचयिता
सुषमा मलिक,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट स्कूल सिखेड़ा,
विकास खण्ड-सिंभावली,
जनपद-हापुड़।
Comments
Post a Comment