बच्चे देश का भविष्य
बच्चों तुम तकदीर देश की,
बदलो तुम तस्वीर देश की,
तुम बिन सूना यह संसार,
बाँटो जग में प्यार ही प्यार।
बनकर अडिग हिमालय जैसा,
लक्ष्य पर अपने डटे रहो,
सरिताओं के निर्मल जल सा,
कर्म के पथ पर बढ़े रहो।
गाँव देश की सेवा करना,
दूर सदा दुर्गुणों से रहना,
तुम रौनक हो घर आँगन की,
बाँटो जग में प्यार ही प्यार।
वृक्ष की शीतल छाया बनना,
पथिक जहाँ करले विश्राम,
करना विरल कार्य कुछ ऐसा,
याद रखे तुम्हें देश जहान।
मात पिता हों तुमसे सेवित,
संकल्प लेना होगा हर बार,
पढ़ लिखकर नेक बनो तुम,
बाँटो जग में प्यार ही प्यार।
सीमाओं की रक्षा करना,
भीतर के दुश्मन से लड़ना,
जाति धर्म के अंगारों पर,
शीतल जल बनकर के पड़ना।
भ्रष्ट अराजक तत्वों से तुम,
मुक्त करो इस देश को,
तब निर्मित कर पाओगे तुम,
तस्वीर नई इस देश की।
रचयिता
सीमा मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय काज़ीखेडा,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।
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