दीवाली का अभिनंदन
मुस्कान खिली है दीपों संग
ये जलसा अनुपम आया है
हर राह से भागा अंधियारा
कुछ ऐसा मौसम आया है।।
तम की टूटी है अवली सखे
नभ में उजियारा छाया है
अज्ञान मिटे मन से सबके
बस यही संदेशा लाया है।।
न हो हिन्दू, न हो मुस्लिम
न कोई सिख ईसाई हो।
मिलकर के दीप जलाएँ सब
हर घर मे प्रेम मिठाई हो।
हर व्यक्ति, व्यक्ति का मीत बने
न जात पात का बंधन हो
मिलकर फोड़ें सब फुलझड़ियाँ
दीवाली का अभिनन्दन हो।
दीवाली का अभिनंदन हो।।
रचयिता
रघुनाथ द्विवेदी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय चायल,
विकास खण्ड-चायल,
जनपद-कौशाम्बी।
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