भारतीय संविधान
सभी भारतीयों का है अभिमान,
विश्व का सबसे बड़ा संविधान।
नतमस्तक, है सारा जहान,
पाकर, ये पवित्र ग्रन्थ महान।
दो सौ चौरासी, सदस्यों की सभा,
पंद्रह महिलाओं को भी, दिया स्थान।
भारत रत्न, डॉ0 भीमराव ने,
लिखकर किया देश का कल्याण।
दो वर्ष ग्यारह माह, अट्ठारह दिन,
चौबीस घण्टे, हरेक पल प्रति क्षण।
देशवासियों को किया समर्पण,
ये सम्भव नही था महामानव बिन।
तीन सौ पिचानवे अनुच्छेद और
बाइस भाग, आठ अनुसूचियाँ।
पहली बार इतिहास बनाकर,
विश्व को आश्चर्यचकित किया।
समाज में फैली कुरीतियों का,
संविधान ने ही तो अंत किया,
छः मौलिक अधिकारों को देकर,
सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार दिया।
स्मरण करें हम उस ज्ञान पुँज को,
जिसने निज देश पर उपकार किया,
कोटिश नमन करते हैं हम वंदन,
बाबा साहब ने मानवता का उद्धार किया।
रचयिता
दीपा आर्य,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय लमगड़ा,
विकास खण्ड-लमगड़ा,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखण्ड।
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ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता पूरा सार है उसमे
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