त्योहारों का मेला
त्योहारों का आया मेला,
कितना प्यार और अलबेला।
एक-दूजे से मिलने जाते,
रहता ना फिर कोई अकेला।।
धनतेरस आती धन वाली
बाजारों में छायी लाली।
सभी खरीदें सोना चाँदी,
मम्मी लायीं पायल मतवाली।।
छोटी दीवाली, बड़ी दीवाली
रात आयी है पटाखों वाली।
चारों तरफ उजाला फैला,
कहीं ना देखो रात ये काली।।
गोवर्धन गोबर से बनता,
घर-घर के आँगन में सजता।
भाई-दौज की छटा निराली,
बहना लायी सजा के थाली।।
रचयिता
हेमलता गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुकंदपुर,
विकास खण्ड-लोधा,
जनपद-अलीगढ़।
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