दीपोत्सव
आओ हम सब मिलकर एक त्योहार मनाते हैं
दीपों की अवली से हर आँगन को महकाते हैं
नकारात्मकता को दूर भगा एक दीप जलाते हैं
सकारात्मकता की लौ से जग रोशन कर जाते हैं
निराशा के आँगन में आशा का दीप जलाते हैं
स्वावलंबी का आलंब बन हाथ आगे बढ़ाते हैं
छोटी सी भेंटे देकर खुशियों का अंबार लगाते हैं
माटी के दीपक खरीदकर कुम्हार को हँसाते हैं
निजी स्वार्थों से हटकर कुछ परमार्थ कर जाते हैं
छोटी छोटी खुशियाँ देकर अपनों को हर्षाते हैं
दीपक की रोशनी से दूसरों का घर भी जगमगाते हैं
चलो आज हम सब मिलकर दीपोत्सव मनाते हैं
श्री प्रभु राम के चरणों में अपना शीश नवाते हैं
सब की खुशियों में शामिल हो निज फर्ज निभाते हैं
प्रकाश लड़ियों से अमावस की रात भगाते हैं
पूर्णिमा सा उजाला कर दीपोत्सव मनाते हैं
असत्य में सत्य की विजय का बिगुल बजाते हैं
स्वर्ग बनी अयोध्या में, हम भी शामिल हो जाते हैं
रचयिता
सुनीता बहुगुणा,
सहायक अध्यापक,
राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिजनी बड़ी,
विकास क्षेत्र - यमकेश्वर,
जनपद - पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
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