दीपों की सज रही कतार
दीपों की सज रही कतार दीपावली का पर्व आया,
जगमग हो रहा यह संसार पर संदेश हजार लाया।
हमने दीप जब-जब जलाया अंधकार को दूर भगाया,
समाज के अंधकार मिटाने को यह पर्व हर वर्ष आया,
पर सोचो आखिर अंधकार कितना है जग से मिट पाया,
समाज में आज भी अत्याचार अनाचार का अंधकार छाया।
दीपों की सज रही कतार दीपावली का पर्व आया,
जगमग हो रहा यह संसार पर संदेश हजार लाया।
समाज के हर कोने में अंधविश्वास कुरीतियों का रावण आया,
उसी दंभ व झूठे गर्व ने बालिका को कोख में ही मिटाया,
आज जगत में अत्याचार अनाचार का तूफान भी आया,
हमने इन विकारों को मिटाने का संकल्परूपी दीप कब जलाया।
दीपों की सज रही कतार दीपावली का पर्व आया,
जगमग हो रहा यह संसार पर संदेश हजार लाया।
इस वर्ष कुछ खासकर दीपावली को विशेष बनाओ,
अज्ञानता का अंधकार मिटाने का संकल्प सब उठाओ,
समाज व घर में सुंदर संस्कारों की पौध सब उगाओ,
राग द्वेष लालच भ्रष्टाचार के खिलाफ अखंड ज्योति जगाओ।
दीपों की सज रही कतार दीपावली का पर्व आया,
जगमग हो रहा यह संसार पर संदेश हजार लाया।।
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