शक्ति दर्शन 12, वर्तिका अवस्थी, मन की बात.........नारी के सपनों की दुनियाँ

*शक्ति दर्शन 12*
*मन की बात.........नारी के सपनों की दुनियाँ*
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सपनों की एक रुपहली दुनियाँ होती है जिसमें हौसलौं और कामयाबी के असंख्य जुगनू टिमटिमाते रहते हैं। नारी भी तो धैर्य, करुणा, ममत्व, प्रेम, दयालुता आदि की पूरक होती है जो इस सृष्टि को, इस प्रकृति को और संपूर्ण जीवन को संपूर्णता देती है।
इस प्रकृति ने नारी और पुरुष दोनों को पृथक-पृथक बनाया है; भले ही नारी को सामाजिक तानेबाने के अनुसार कमजोर मान लिया गया है,  पर यही नारी दुर्गा, चण्डी और लक्ष्मीबाई के रूप में आकर समाज में एक नई परिभाषा गढ़ती है। मानव की जन्मदात्री होने के कारण ही उसे समाज में उच्च प्रतिष्ठा प्राप्त है। एक बालिका जन्म लेने के बाद ज्यों-ज्यों बड़ी होती जाती है त्यों-त्यों  उसके मन में परिवार को जोड़ना ही नहीं समाज में प्रतिमान स्थापित करना ही सिखाया जाता है।
     बचपन से ही गुड्डे व गुड़ियों के साथ घर-घर खेलती हुई वह  अपने परिवार और छोटे-छोटे भाई बहनों को संभालने लग जाती है। अपनी गुड़िया की माँ की भूमिका निभानी हो या टीचर की बचपन से ही वह इन में अपने रंग भरने लगती है।
जाहिर है जो सपने उसकी माँ ने देखे थे वह इन नन्ही आँखों में भी तैरने लगते हैं। वह अपनी माँ की आँखों से देखे गये सपनों को पूरा करने में लग जाती है।  परिवार और समाज को जोड़ने की सार्थकता को वह बचपन से ही समझ लेती है और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती है।
स्त्री अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व, अपने जीवन का उद्देश्य सब अपने परिवार के लिए तिरोहित करती है। सामाजिकता दृष्टिकोण की उदारता, चरित्र की दृढ़ता, निर्भयता, नेतृत्व की क्षमता आदि गुणों को बचपन से ही सीख - सीख कर वह समाज के समक्ष एक बेहतरीन उदाहरण पेश करती है। वह बच्चों का ही नहीं वरन्  घर के बड़े- बुजुर्गों का उचित खानपान, स्वास्थ्य का ख्याल भी बड़े सलीके से करती है। बचपन से देखे गए सपनों को करने के लिए जिंदगी की तीव्र रफ्तार में भी बहुत तेज दौड़ लगाती है। आपाधापी और घोर व्यस्तता के बावजूद भी वह उन्हें पूरा करने की क्षमता विकसित करती है।वह चारों ओर प्रकृति के  वैभव को समेटकर अपनी अभिरुचियों को जागृत करती है। उन्हें वह अपनी हॉवियों में, कलाओं  में, विकसित कर समाज के समक्ष लाती ही नहीं वरन् समाज में भी बाँटती भी है। उसका  रचनात्मक पक्ष मानवता की एक नई परिभाषा गढ़ता है। नारी ने युगों-युगों से एक लंबी लड़ाई लड़कर अपनी अस्मिता की रक्षा की है और समाज में नए-नए उदाहरण प्रस्तुत किए हैं।उसकी सपनों में हमेशा ही 'नारी सशक्त' हो की भावना रहती है।
उसकी आँखों में ऐसा सपना जगमगाता रहता है
जो आदर्शों का ऐसा दीप प्रज्ज्वलित करे जो युगों-युगों तक नारीत्व को प्रकाश की ऊर्जा से भर दे।

*वर्तिका अवस्थी*
प्र०अ०(प्राथमिक स्तर)
कम्पोजिट विद्यालय देवामई
विकास क्षेत्र
जनपद मैनपुरी

*संकलन :-*
*टीम मिशन शिक्षण संवाद शक्ति परिवार*


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