फल कैसे पाओगे

बोलो बच्चों पेड़ हमारे,

जब गर्मी थी तब नंगे थे

आज तो बच्चों हरे भरे हो।

गर्मी में सब तेरे पत्ते

गंदे भी बूढ़े भी थे

बूढ़े थे तो मरने ही थे

और धरा पर गिरने खातिर

डाली से झड़ने ही थे

मिट्टी में मिलने ही थे।।


जड़ें बच्चों परेशान हैं

उन पर आए बड़े काम हैं

पानी बहुत मुश्किल से पाएँ

जैसे तैसे मुझे जिलाएँ

बिन पत्ती बोलो क्या खाएँ।।

पतझड़ मेरा न्यू ईयर है

तो नए साल को आने दो

पत्ते नये धारण कर

हैप्पी न्यू ईयर मनाने दो।।

नए वस्त्र धारण करके

जब त्योहार मनाओगे

बिना हमारे बच्चों बताओ

फल कैसे पाओगे।।


रचयिता
साधना,
प्रधानाध्यापक
कंपोजिट स्कूल ढोढ़ियाही,
विकास खण्ड-तेलियानी,
जनपद-फतेहपुर।

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