जग जननी

जग जननी माँ शक्ति स्वरूपा

आओ घर परिवार भरो

घर-घर द्वार सजे हैं मइया

सबका बेड़ा पार करो।

छाया है घनघोर अंधेरा

अब तो भोर अंजोर करो।

दुष्टों की काली छाया से

जन मानस उत्पीड़ित है

मधु कैटभ से दुष्टों का

अब महाकाली संहार करो।

महिसासुर बन बैठे पापी

आकर राह दिखाओ माँ

महिषमर्दिनी चंडी देवी

पापियों का सर्वनाश करो।

उमा, रमा, सीता बृज रानी

अष्टभुजी वाराहिनी माँ

विघ्न सभी हर लो इस जग के

हे ज्वाला, हे मनसा माँ।

विंध्य वासिनी हे शीतला मइया

जय हो शारदा अष्ट भवानी

सर्वेश्वरी, पाटेश्वरी माता

सृष्टि की उद्धारिणी माँ

रूद्र स्वरूपिणी हे दुर्गा माँ

काली रूप में आओ माँ

अस्मिता का जो हरन कर रहे

उनको सबक सिखाओ माँ

त्रिपुर सुंदरी हे चामुंडा

जग का बेड़ा पार करो माँ

चण्ड मुण्ड के शोणित से

अब धरती को अवमुक्त करो।

करो जगत का कल्याण हे माता

माँ कल्याणी जग में पधारो

करुण पुकार सुनो हे जननी

धरती का अवसाद हरो

करो धरा को पापमुक्त

अब सृष्टि का उद्धार करो

माता तुम हो श्वेत वर्णिनि

आँचल में सौभाग्य भरो

चूड़ी बिंदी लाल चुनरिया

संग गोदी में लाल सजे।

पूजन हो माँ गौरी का

घर-घर सुन्दर दरबार सजे।


रचयिता
मंजरी सिंह,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उमरी गनेशपुर,
विकास खण्ड-रामपुर मथुरा,
जनपद-सीतापुर।



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