विजय दशमी - आयुध पूजा
विजयदशमी आयुध पूजा हिंदुओं का प्रमुख त्योहार,
अश्विन शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को मनाने का विचार,
मर्यादा पुरुषोत्तम राम रावण का किए वध,
बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक का सुविचार।
भारतीय संस्कृति की वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक,
व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता का प्राकट्य,
कार्य आरंभ और शस्त्र पूजा का विधान इसमें,
पाप, क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, आलस्य, अहंकार त्याज्य।
भगवान श्रीराम करें आदि दैविक विपत्ति भंजन,
सुख प्रदान करें सर्वदा राजीव नयन,
धर्म नियंता धारण किए धर्म का धनुष सायक,
कष्ट को बनाकर निशाना हरण करते हैं दुख - दारुण।
अंतर्मन का रावण मारें करें प्रेम का आगाज,
मानवता की रक्षा करने में तत्पर हो हर साज,
संस्कृति की स्थापना से जो हम चूक गए,
समझो अधूरा रह गया सुसंस्कृत राष्ट्र का स्वप्न आज।
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