नारी शक्ति
नारी तू शक्ति स्वरूप है।
तेरे जीवन में सुखमय छाया कम
ज्यादा दुःखमय धूप है।।
तू त्याग बलिदान की प्रतिमा है।
तन मन धन समर्पण तेरी आत्मा है।
तू जग जननी ममता का रूप है।।
तेरे जीवन में ..............
तू सहनशीलता की मूरत है।
करुणानिधि भोली सूरत है।
अस्मत पर आए आँच अगर
तू दुर्गा काली स्वरूप है।।
तेरे जीवन में.............
तू पिता के घर का अभिमान है।
तू भाई के घर की पहचान है।
तू पति के घर का सम्मान है।
नारी तू दात्री स्वरूप है।
तेरे जीवन में.............
आदर सत्कार संस्कार से पूर्ण
तू व्यवस्थापिका, परिचायिका,
सुगृहिणी, सर्वसेविका स्वरूप है।
तेरे जीवन में..........
तू परिवार, समाज, देश कल्याणी।
कन्धे से कंधा मिलाकर चलने वाली।
सारे कर्तव्य निर्वाह करते हुए
आजीविका योगदान करने वाली।
तू बच्चों में सदाचार, ज्ञान भरे।
तू सरस्वती तू ही लक्ष्मी स्वरूप है।।
तेरे जीवन में...........
ये नर तेरी कोख में पलता है।
तेरी ऊँचाइयों से जलता है।
तुझे पैर की जूती समझता है।
मंदिर में यही जब जाता है।
देवी चरणों में झुकता है।
नारी तू देवी दया का रूप है।।
तेरे जीवन में........
अब मौन नहीं तुझे रहना है।
अत्याचार नहीं अब सहना है।
कुंठित चरित्र के लोगों को
नारी सम्मान सिखाना है।
नारी को मत समझो अबला।
नारी का मत करो अपमान।
धरेगी महाकाली रूप।
करेगी दुष्टों पर तांडव।
दिलाएगी नारी को मान।।
नारी तू महाकाली स्वरूप है।।
तू सुख बाँटती है, दुःख हरती है।
इसीलिए तेरे जीवन में सुखमय छाया कम,
ज्यादा दुःखमय धूप है।
तू जग पालनहारी, संतोषी स्वरूप है।
सभी के दुःख हरने में तेरा सुख फलीभूत है।
नारी तू शक्ति स्वरूप है।।
रचयिता
रीना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सालेहनगर,
विकास क्षेत्र-जानी,
जनपद-मेरठ।
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