आज सच
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते,
रमन्ते तत्र देवता।
अब हो गये हैं दुष्ट,
नारी जाति के हन्ता।
शैलपुत्री तो बनने नहीं देते,
कर देते हैं कोख से ही विदा।
यत्र नार्यस्तु------
अब हो गये-------
अनचाही कन्या करते हैं कूड़ेदान के हवाले,
और श्रद्धा भक्ति से पूजते हैं माँ दुर्गा।
यत्र नार्यस्तु ---------
अब हो गये----------
नहीं देखते अमीर गरीब को,
छोटी हो या बड़ी बिटिया
मानवता नहीं रही,
है केवल दानवता।
यत्र नार्यस्तु------
अब हो गये----------
इस उक्ति को करें सार्थक
माँ, बहन और बेटी की करें रक्षा।
तभी बढ़ेगी नारी की महत्ता।
यत्र नार्यस्तु ----------
अब हो गये----------
सच्चे अर्थों में गर पूजनी है देवी,
तो हर नारी के बन जाइए बेटा, भाई और पिता।
यत्र नार्यस्तु--------
अब हो गये----------
रचयिता
उर्मिला पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय माधोपुर हजरतपुर,
विकास खण्ड-रूड़की,
जनपद-हरिद्वार,
उत्तराखण्ड।
सुदंर कृति
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