ऐ मनुष्य तुझको अब चिंतन करना होगा

ऐ मनुष्य तुझको अब चिंतन करना होगा
अपने कर्मों के फल पर मंथन करना होगा
सोच जरा आने वाली पीढ़ी तुझको क्षमा कैसे कर पाएँगी
जब जल बिना वो तड़प तड़प मर जाएगी
तू मूर्ख जल निधि को व्यर्थ ही बहाता है
और स्वयं को सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ जीव कहलाता है
तुझको अपने कृत्यों पर अब कुछ तो अंकुश करना होगा
ऐ मनुष्य तुझको चिंतन करना होगा।।

सोच आज अपने शिशु की किन्चित मात्र पीड़ा न देख पाता है
रात दिन बच्चों के लिए कमर तोड़ कमाता है
और उन्हीं का दम घोटने हेतु वृक्षों को काटे जाता है
क्या करेंगे संपत्ति, गाड़ी ,धन, वैभव, बंगलो का
जब श्वांस ही न ले पाएँगे,
आवश्यक है हम निश्चय करे हम सब खूब पेड़ लगाएँगे
अब ये भाव और ये विचार सबको अपने मन मे भरना होगा
ऐ मनुष्य तुझको अब चिंतन करना होगा।।

आवश्यक है वरक्षारोपण मात्र योजना न रह जाए
जल संरक्षण मात्र भाषण न रह जाए
समय की पुकार अब इसका क्रियान्वयन करना होगा
ऐ मनुष्य तुझको अब चिंतन करना होगा
अपने कर्मो के फल पर तुझको मंथन करना होगा।।।

रचयिता
इन्दु शर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अनवरपुर,
विकास क्षेत्र-हापुड़,
जनपद -हापुड़।

Comments

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  2. बहुत अच्छी कविता ...

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