आओ स्कूल चलें

नामांकन का दौर है आया।
नई उमंगे फिर से लाया।
चूके नहीं इस बार
आओ स्कूल चलें।

दादा आएँ दादी आएँ
पोते पोती का नाम लिखाएँ
शिक्षा का है अधिकार
आओ स्कूल चलें।

आओ मिलकर कदम बढ़ाएँ।
मात पिता को हम समझाएँ
अलख जगाएँ द्वार द्वार
आओ स्कूल चलें।

विद्यालय में भोजन खाएँ।
स्वेटर जूते बैग भी पाएँ।
शिक्षा की चली है बयार
आओ स्कूल चलें।

मात पिता कर्तव्य निभाएँ।
बच्चे नित विद्यालय आएँ।।
दिखने लगा है सुधार
आओ स्कूल चलें।

रचयिता
अजीत शुक्ल, स0अ0, 
प्रा0वि0 तड़ौरा,
वि0क्षे0-साण्डी,
जनपद-हरदोई।

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