अच्छे बच्चे
सुबह-सुबह जो जल्दी उठते,
अच्छे बच्चे वो हैं होते।।
मात पिता के पैर हैं छूते,
बड़ों से अपने करें नमस्ते।।
कभी खुले में शौच न करते,
शौचालय का प्रयोग हैं करते।।
ब्रश करके ही खाना खाते,
नित्य समय से स्कूल को जाते।।
शरीर को अपने स्वच्छ हैं रखते,
योग-व्यायाम रोज हैं करते।।
गुरू की आज्ञा का पालन करते,
मन लगाकर खूब हैं पढ़ते।।
मिल-जुल कर आपस में रहते,
कभी नहीं वो झगड़ा करते।।
अच्छी बातें हैं वो करते,
गलत काम वो कभी न करते।।
समय से अपना काम हैं करते,
व्यर्थ नहीं वो समय गँवाते।।
पढ़-लिखकर आगे बढ़ जाते,
अपनी मंजिल वो हैं पाते।।
व्यर्थ नहीं अब समय गँवाओ,
अच्छे बच्चे तुम बन जाओ,
अपनी मंजिल तुम भी पाओ।।
रचयिता
ओमकार पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय किरतापुर,
विकास क्षेत्र-सकरन,
जनपद सीतापुर।
अच्छे बच्चे वो हैं होते।।
मात पिता के पैर हैं छूते,
बड़ों से अपने करें नमस्ते।।
कभी खुले में शौच न करते,
शौचालय का प्रयोग हैं करते।।
ब्रश करके ही खाना खाते,
नित्य समय से स्कूल को जाते।।
शरीर को अपने स्वच्छ हैं रखते,
योग-व्यायाम रोज हैं करते।।
गुरू की आज्ञा का पालन करते,
मन लगाकर खूब हैं पढ़ते।।
मिल-जुल कर आपस में रहते,
कभी नहीं वो झगड़ा करते।।
अच्छी बातें हैं वो करते,
गलत काम वो कभी न करते।।
समय से अपना काम हैं करते,
व्यर्थ नहीं वो समय गँवाते।।
पढ़-लिखकर आगे बढ़ जाते,
अपनी मंजिल वो हैं पाते।।
व्यर्थ नहीं अब समय गँवाओ,
अच्छे बच्चे तुम बन जाओ,
अपनी मंजिल तुम भी पाओ।।
रचयिता
ओमकार पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय किरतापुर,
विकास क्षेत्र-सकरन,
जनपद सीतापुर।
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