मिले सुर मेरा तुम्हारा

मिले सुर मेरा तुम्हारा , मिले ......
प्रदूषण मुक्त धरती हो, बहे नदियों में स्वच्छ जल धारा,
सर्व शिक्षा की अलख जगाए, बहे ज्ञान की अविरल धारा।
'न दहेज, न भ्रूण हत्या' बन जाये यह मूल मंत्र हमारा,
नियंत्रित जनसंख्या के साथ -साथ,
बहे विकास की अविरल धारा।
मिले सुर मेरा तुम्हारा.....
अलगाव, गरीबी, आतंकवाद पर जीत का हो संकल्प हमारा,
विविध संस्कृति भाषाओं के संगम का, हो हर तरफ नजारा ।
'परिवर्तन की हवा तेज हो', यह बन जाये महामंत्र हमारा,
संगठित भारत सर्वोच्च शिखर पर,
कल पहुँचेगा, है यह अपना नारा।
मिले सुर मेरा तुम्हारा....
खुशी और रंगों के संगम से खिले मन सुमन हमारा,
मौलिकता व नैतिकता से, तन- मन रचा- बसा हो हमारा।
' गलत आदतों को हम देगे नही सहारा', है महामंत्र हमारा।
शिक्षित नौजवानों सतर्क हो जाओ,
देश कार्य है उद्देश्य हमारा।
मिले सुर मेरा तुम्हारा.....।

रचयिता
विदिशा मन्द्रेश पंवार,
सहायक शिक्षिका,
उच्च प्राथमिक विद्यालय जतुली,
विकास खंड-हरियावां,
जनपद-हरदोई।

Comments

  1. Relevant... Motivational...

    ReplyDelete
  2. मै आपकी काव्य रचनाओ बहुत ही प्रभावित हूँ।आपके विचारों को मिशन संवाद ग्रुप पर देखा करता हूँ।आपका व्यक्तिव बहुत ही प्रेरणादायक है।

    ReplyDelete

Post a Comment

Total Pageviews

1164363