जीवन जिस दिन अपना अंतिम साँसें लेगा
जीवन जिस दिन अपना अंतिम साँसें लेगा,
उखड़े उखड़े स्वर में तब यह प्रश्न उठेगा,
इस जीवन से लाभ हुआ क्या और क्या हानि?
जीवन की कीमत कितनी हमने पहचानी?
किसी अधूरे काम को पूरा कर लेने को,
शायद जी उठने का फिर अरमान जगेगा!
जीवन जिस दिन अपना अंतिम साँसें लेगा ......
चेहरे जाने अंजाने मन में उभरेंगे
स्वयं के ही अपशब्द शूल सा मन बेधेंगे
कोई स्वजन या बचपन का कोई सहपाठी
हाथ बढ़ाये रुकने का संकेत करेगा!
जीवन जिस दिन अपना अंतिम साँसें लेगा .....
जन्म के बंधन, कर्म के रिश्ते, नींव प्रीत की टूटेगी
धीरे-धीरे, एक-एक कर हर एक डोरी छूटेगी
शांति सरोवर ओर विहग परवाज़ भरेगा !
जीवन जिस दिन अपना अंतिम साँसें लेगा .....
रचयिता
कुहू बनर्जी,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अटकोहना,
विकास खण्ड-नकहा,
जनपद-लखीमपुर खीरी।
उखड़े उखड़े स्वर में तब यह प्रश्न उठेगा,
इस जीवन से लाभ हुआ क्या और क्या हानि?
जीवन की कीमत कितनी हमने पहचानी?
किसी अधूरे काम को पूरा कर लेने को,
शायद जी उठने का फिर अरमान जगेगा!
जीवन जिस दिन अपना अंतिम साँसें लेगा ......
चेहरे जाने अंजाने मन में उभरेंगे
स्वयं के ही अपशब्द शूल सा मन बेधेंगे
कोई स्वजन या बचपन का कोई सहपाठी
हाथ बढ़ाये रुकने का संकेत करेगा!
जीवन जिस दिन अपना अंतिम साँसें लेगा .....
जन्म के बंधन, कर्म के रिश्ते, नींव प्रीत की टूटेगी
धीरे-धीरे, एक-एक कर हर एक डोरी छूटेगी
शांति सरोवर ओर विहग परवाज़ भरेगा !
जीवन जिस दिन अपना अंतिम साँसें लेगा .....
रचयिता
कुहू बनर्जी,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अटकोहना,
विकास खण्ड-नकहा,
जनपद-लखीमपुर खीरी।
Behad khubsurat apki lekhni mein dim hai
ReplyDeleteधन्यवाद बन्धु
DeleteNice
ReplyDeleteThanks
Deleteअच्छी कविता है
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