२४९~ श्वेता सिंह सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय हरिहर नगर, बेरुआरबारी, जनपद- बलिया

💎🏅अनमोल रत्न🏅💎


मैं श्वेता सिंह सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय हरिहर नगर, बेरुआरबारी, जनपद- बलिया से। मैंने 30 अगस्त 2016 को प्रा0वि0 हरिहर नगर में बतौर सहायक अध्यापिका कार्यभार ग्रहण किया। बहुत ही सीमित संसाधनों वाले इस विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक(महिला), एक समायोजित शिक्षिका, तीन रसोईया और 200 बच्चे मुझे विरासत में मिले। विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या कम नहीं थी।
पहले दिन कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात मैं अपने स्वाभाव के कारण बच्चों से जल्दी ही घुल मिल गयी। इसमें मेरे मोबाइल का भी योगदान रहा। बच्चों के साथ तस्वीरें लीं। बच्चे इन सब से बहुत ही खुश थे। बच्चों से बातचीत में मुझे पता चल चुका था कि "बहुत कठिन है डगर पनघट की" मेरे मन से आवाज़ आयी, "रास्ते कठिन हैं तो मैं भी आसान नहीं मुश्किलों के लिए, मुश्किलों के लिए भी कठिन होगा मुझे हरा पाना" फिर मैंने अपनी ऊर्जा को समेटा और चलने के लिए तैयार हो गयी कठिन रास्तों पर।
मैंने कई दिनों तक करिकुलम को छुआ तक नहीं, सिर्फ और सिर्फ़ बच्चों से जुड़ने का प्रयास किया ताकि मुझे पता चल सके कि मेहनत कहाँ से शुरू करनी है। मेरा अनुभव ये है कि आप संसाधनों की कमी के बावजूद शिक्षण कर सकते हैं। लेकिन बच्चों से बिना आत्मिक जुड़ाव के आपके लिए शिक्षण मुश्किल होगा। बच्चों से जुड़ाव आपको हर दिन नई ऊर्जा से भर देगा और नवाचारों के लिए प्रेरित करेगा।


पहली सीख, पहला भरोसा, पहली उम्मीद-
1 सितम्बर 2016 को सुबह प्रार्थना के पश्चात मैंने बच्चों को एक्सरसाइज़ कराना शुरू किया, तभी एक बुजुर्ग रसोईया दादी ने आकर मुझसे कहा कि "आप कभी बदलना मत" उनका इतना कहना था कि कई सवाल मेरे दिमाग में घूम गये कि क्यों न बदलूँ, मैं तो हर रोज बदलना चाहती हूँ? हर रोज पहले से बेहतर बनना चाहती हूँ, मैंने अपने विचारों पर काबू करते हुए पूछा कि ऐसा क्यूँ लग रहा है आपको? उन्होंने कहा कि मैं यहाँ बहुत दिनों से काम कर रही हूँ लेकिन अभी तक आपके जैसा कोई नहीं आया, जिसने ये सब किया हो। तब मैंने उनकी आँखों में अपने लिए एक भरोसा और उम्मीद देखी। मैं उनसे ये वादा तो नही कर पायी कि मैं बदलूँगी नहीं लेकिन हाँ ये वादा जरूर किया उनसे और स्वयं से कि मेरा बदलाव विद्यालय व बच्चों के हित में होगा और हर दिन गुज़रे दिन से बेहतर होगा।

विद्यालय में पहला शिक्षक दिवस- 5 सितम्बर 2016 विद्यालय में मेरा शिक्षक के रूप में पहला शिक्षक दिवस था। उस दिन मैंने 2 पौधे खरीदे और बच्चों के साथ मिलकर हमारे हरियाली से महरुम आशियाने में हरियाली रोंप दी। बच्चों को प्लांटेशन के फ़ायदे और शिक्षक दिवस के बारे में बताया तथा साथ मिलकर और भी पौधे लगाने का प्रण लिया।
पहला गणतन्त्र दिवस(जब गाँव वालों से मिला स्नेह व सराहना)- ये मेरा दूसरा टर्निंग पॉइंट था। हमारे कार्यक्रम ने विद्यालय के ही पिछले सारे रिकार्ड्स तोड़ दिए। इसमें बच्चों का सहयोग सराहनीय रहा। इस कार्यक्रम में तथा कार्यक्रम के बाद गाँव वालों से ख़ूब सराहना तथा प्रेरणा मिली।
विद्यालय की पहली नकल विहीन परीक्षा-19 अक्टूबर 2016 को विद्यालय के हाफ ईयरली एक्जामिनेशन में पहली बार नकल विहीन परीक्षा की नींव पड़ी जिसमें बच्चों को सीटिंग प्लान के अनुसार बैठाया गया।

समस्याएँ-
बच्चों में अभिव्यक्ति क्षमता की कमी।
बच्चों का कक्षा में रुचि न लेना।
स्वस्थ प्रतियोगिताओं का अभाव।
को कॅरिकुलर एक्टीविटीज का अभाव।
जेंडर इक्वलिटी का अभाव।
परीक्षा प्रणाली का कमज़ोर होना।
बच्चों का दैनिक क्रियाओं( ब्रश करना, नहाना आदि) के प्रति जागरूक न होना।
प्रयास एवं परिणाम-
प्रार्थना के पश्चात बच्चों से योगाभ्यास कराना।
योगासन के पश्चात बच्चों से सामान्य जानकारियों के प्रश्न पूछना तथा उन्हें नई जानकारियाँ देना।
बच्चों को दैनिक क्रियाकलाप के प्रति जागरूक करने के लिए वीडियो दिखाना तथा समय समय पर पुरस्कृत करना जिससे बहुत हद तक सुधार हुआ।
बच्चों की रुचि बढाने के लिए विषयानुसार मास्क एवं पपेट्स का प्रयोग करने से बच्चों की रुचि बढ़ी।
बच्चों में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए कुछ डब्बे बच्चों की सहायता से बनाये जिनमें किसी का सामान गिरा मिलने पर रखने की प्रकृति तथा कचरे को इधर उधर फेंकने के बजाय डब्बे में रखने की आदत को प्रेरित किया। इससे बच्चों में ईमानदार व व्यक्तिगत जीवन शैली का विकास हुआ।
जो बच्चे पूरे दिन में अपना बेस्ट दें, उनके साथ सेल्फ़ी लेना। सेल्फ़ी से बच्चे खुश होते और अच्छे बच्चे बनने की कोशिश करते।
शनिवार को क्राफ़्ट, बाल सभा, जीके गेम्स तथा खेलकूद का आयोजन किया जाता, इससे बच्चों की रचनात्मकता बढ़ी।
बच्चों की रुचि बढाने के लिए रोल प्ले मेथड का प्रयोग किया। इससे बच्चों की समझ के साथ अभिव्यक्ति तथा मंचन क्षमता भी बढ़ी।
बच्चों की विज्ञान में रुचि बढाने के लिए एक्सपेरिमेंटल मेथड का प्रयोग किया। इस विधि से बच्चे रुचि और समझ के साथ विज्ञान से सम्बंधित टीएलएम बनाने की क्षमता का विकास हुआ।
बच्चों में इंग्लिश की समझ बढाने के लिए चुने हुए बच्चों के लिए सेशन विथाउट पेपर पेंसिल चलाया तथा प्रत्येक बच्चे को 5-5 बच्चों को सिखाने को कहा। इसके बहुत ही अच्छे परिणाम प्राप्त हुए। मुझे मेहनत भी कम करनी पड़ी और बच्चों को सीखने के साथ सिखाना भी आ गया।
जेंडर इक्वलिटी को बढ़ावा देने तथा बच्चों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर अवेयरनेस सेशन का आयोजन किया तथा एक्टीविटीज के दौरान ब्वायज गर्ल्स का कम्बाइंड ग्रुप बनाकर एक्टीविटीज करने तथा समय-समय पर प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप बच्चे साथ मिलकर कार्य करना पसन्द करते हैं तथा एक स्वस्थ परिवेश बना रहता है।
विशेष दिवसों को मनाना तथा उसके बारे में बताना।
महापुरुषों के जन्मदिन पर बच्चों को उनका प्रतिरूप बनाना तथा नाटिका, वीडियोस, चित्रकला के माध्यम ज़िन्हें जानकारी देना।
बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रेरित करना।
कक्षा में आईसीटी का प्रयोग।
समय समय पर प्रतियोगिताओं का आयोजन तथा बच्चों को पुरस्कृत करना।
टीएलएम का प्रयोग।
क्षेत्र भ्रमण।
समय समय पर विशेषज्ञों को आमंत्रित करना।
अभिभावक सम्पर्क।
बच्चों के साथ मिलकर प्लांटेशन करना।
बाल केंद्रित शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को आपने आप उत्तर प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया तत्पश्चात उसने सुधार किया।
बच्चों द्वारा लगाई गणित विज्ञान प्रदर्शनी में मिली सराहना- बच्चों ने शिक्षा उन्नयन गोष्ठी में गणित विज्ञान प्रदर्शनी लगाई,जिसे ख़ूब सराहना मिली। इसमे किडनी, लंग्स, प्रोजेक्टर, वाटर पम्प आदि के वर्किंग मॉडल्स के साथ कंकाल तंत्र, पाचन तंत्र,
सोलर सिस्टम, जलने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता, जोड़ मशीन, संख्या मशीन इत्यादि मॉडल्स बच्चों ने आदरणीय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय, जननायक श्री चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय और वहाँ उपस्थित लोगों के सामने डेमोस्ट्रेट किये। बच्चों की मेहनत से खुश होकर ब्लॉक अध्यक्ष, मंत्री जी एवं सम्मानित सदस्यों ने विद्यालय आकर बच्चों को पुरस्कृत किया।
मेरे शिक्षण अधिगम का आधार- मेरे कक्षा शिक्षण का बेस कोई नवाचारी तकनीकि नही बल्कि एक बेसिक सी चीज है, जो ह्यूमन को ह्यूमन बनाती है। प्रेम, लगाव, बच्चों के साथ बॉन्डिंग, जहाँ बच्चे खुद को महफूज़ समझते हैं। फिर उस बॉन्डिंग की नींव पर मैं करिकुलर और को करिकुलर एक्टीविटीज में इनोवेशन्स के महल बनाती हूँ।
एक और बेसिक टेक्निक जो मैं अपनी टीचिंग के दौरान इस्तेमाल करती हूँ। मॉम्स मैजिक, ये मेरी टीचिंग का खास पहलू है। हम सबने महसूस किया है, अपने घरों में जिस दिन हमें खाने का मन नही होता माँ कितने सारे ऑप्शन्स देती है और उनके ऑप्शन्स तब तक खत्म नही होते जब तक हमारा खाने का मन न हो जाये।
मेरे अनुभव एवं सुझाव- हमारी टीचिंग लर्निंग की प्रभाविता इस बात पर निर्भर करती है कि हम आपनी नजर और नज़रिए को कितनी अपडेट रखते हैं। हमने क्लासरूम टीचिंग की जो भी प्लानिंग की है उसे तो हम बतायें ही साथ ही बच्चों की मानसिक स्थिति और सामाजिक परिस्थितियों और समय की माँग के अनुसार बच्चों की लर्निंग करायें, क्योंकि इस समय जो बच्चे सीखेंगे वो हमारी प्लानिंग की लर्निंग से ज्यादा इफेक्टिव होगा।।
मेडिसिन्स की एक्सपायरी चेक करना मैंने बच्चों को तब सिखाया जब कक्षा का एक बच्चा बीमार था। दवाई के बारे में पूछने पर उसने पुराने कवर वाली दवाई जेब से निकलते हुए कहा कि पापा बीमार थे तब लाये थे। और आपको जानकर आश्चर्य होगा जैसा मुझे हुआ था कि एक साल बाद फस्ट एड पर चर्चा के दौरान पता चला कि वो एक्टिविटी बच्चों को याद थी।
गोरखपुर में चालक की लापरवाही के कारण स्कूल वैन और ट्रेन दुर्घटना में बच्चों की मौत के बाद अपनी कक्षा में बच्चों को सड़क सुरक्षा के बारे में मास्क बनाकर हिंदी तथा इंग्लिश राइम्स के माध्यम से जागरूक करने का प्रयास किया।
सम्मान-
30 सितम्बर 2016 डारेक्टर सर द्वारा प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
30 दिसम्बर 2016 को डिस्ट्रिक्ट लेवल क्वालिटी एजुकेशन सेमिनार में बीएसए सर से प्रमाणपत्र तथा स्मृति चिन्ह प्राप्त हुआ।
शिक्षा में विशिष्ट योगदान हेतु 3 अप्रैल 2017 को बीएसए सर द्वारा स्मृति चिन्ह तथा सम्मान प्राप्त हुआ।
14 मई 2017 को उच्च प्राथमिक सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता सम्पन्न कराने में योगदान हेतु स्मृति चिन्ह एवं प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
15 अप्रैल 2018 शिक्षा उन्नयन गोष्ठी में श्री चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय द्वारा स्मृति चिन्ह एवं प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
मिशन शिक्षण संवाद काशी शैक्षिक उन्नयन कार्यशाला में आयुक्त वाराणसी मण्डल द्वारा प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।
समय समय पर मेरे कार्यों को e news के माध्यम से प्रोत्साहन तथा सराहना मिली।









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