रिमझिम रिमझिम आई बारिश

रिमझिम रिमझिम आई बारिश
सबके मन को भाई बारिश
तन पर  बूँद गिराते ही
ढेरों खुशियाँ लाई बारिश

कड़-कड़-कड़-कड़ बिजली चमके
थर-थर-थर-थर पत्ते काँपे
रंगीले से इन्द्रधनुष को
साथ में अपने लाई बारिश।

मोर भी नाचा हम भी नाचे
और बाँसुरी ढोलक बाजे
झूलों का मौसम भी देखो
कितनी जल्दी लाई बारिश।

गर्मी को यह दूर भगाती
नयी ऋतु का सन्देशा लाती
इसीलिए तो हमने पाया
दादी को भी भाये बारिश।

प्यासी धरती की प्यास बुझाती
खेतों मे हरियाली लाती
मुरझाए जीवन में देखो
नये-नये रंग  लाई बारिश।
रिमझिम रिमझिम आई बारिश।

रचयिता
तिलक सिंह,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रतरोई,
विकास खण्ड-गंगीरी,
जनपद-अलीगढ़।

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