शत शत प्रणाम
प्रथम कविता
साहित्य जगत का प्रखर सूर्य,अब अस्ताचल की ओर चला।
गुबारों ने मुड़कर पूछा,
कारवां मेरा किस छोर चला।
जिसके गीतों को सुन सुनकर
मादक कलियाँ खिल खिल जाती थीं।
वह सुमन सुगन्धित नीरज भी
अब अपने पंख सकोर चला।
हे सरस्वती के वरद पुत्र,
रचना धर्मी, साहित्य-प्राण।
साहित्य सृजन के काव्य कोष
शत शत प्रणाम, शत शत प्रणाम।।
द्वितीय कविता
चाँद पर आदमीवो चांद तेरा इतराना
हमसे देखा नही गया।
कभी लघुता, बढ़ जाना
हमसे देखा नही गया।
16 जुलाई के दिन नासा ने
अपोलो किया रवाना।
नील,एल्ड्रिन,कॉलिन्स को
चाँद पर था पहुँचाना।
वर्ष उन्नीस उनहत्तर सन था
तीन दिवस की यात्रा।
ईगल से चन्द्र यान पृथक हो
शान्ति सागर उतरा।
कॉलिन्स ने था यान सँभाला
नील चाँद पर उतरे।।
अमरीका की ध्वजा चन्द्र पर,
बिना वायु के फहरे।
छोटे-छोटे कदमों की दूरी
ने मीलों नापे।
मानव ने इतिहास रचा था
अन्तरिक्ष मे जाके।
रहस्यमयी चंदा मामा की
खुल गयी सारी परतें।
ऊबड़-खाबड़ धरती तेरी
कण बालू के चमकते।
महबूबा सा नही तू सुन्दर
बदसूरत शमसान है।
पंच तत्व,जल वायु विहीना
जीवन न आसान है।
अब तक तूने वसुन्धरा के
चक्कर खूब लगाए।
मानव ने बस एक चक्कर में
सारे भेद बताये।
पत्थर के टुकड़ों को समेटा
वापस धरा पे आये।
तुझमें जीवन के लक्षण अब
नहीं एक भी पाए।
कुछ पानी के अंश को खोजा
भारत के चन्द्र यान ने।
राकेश शर्मा,प्रथम चन्द्र यात्री
गौरवशाली अभियान ने।।
अंतरिक्ष से नीली धरती
देखा औ मुस्काये।
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां
शब्द यही दुहराए।
तृतीय कविता
वीर बटुकेश्वर दत्त
🌺🌺पुण्य तिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि🌺🌺बटुकेश्वर,सुखदेव, भगत
और राजगुरु की टोली।
दुष्ट,आततायी सांडर्स के
सिर पर मारी गोली।
पंजाब केसरी की मृत्यु का
बदला लिया जिन्होंने।
साइमन कमीशन वापस जाओ
का नारा दिया जिन्होंने।
इंकलाब का नारा गूंजा
जगती के कण-कण में।
देश के खातिर जिये मरे ये
जीवन के क्षण-क्षण में।
बटुकेश्वर-आजाद-भगत की
जोड़ी थी अलबेली।
दर्शक-दीर्घा से बम फेंका
हिल गयी सारी एसेम्बली।।
अत्याचारी कानूनों को
पास न होने देंगे।
देश के खातिर मिट जाएँ
पर दास न होने देगें।
आजादी के अमर दीप वे
भारत माँ के बेटे।
फाँसी के फंदे को चूमा
आजादी की चाह समेटे।।
आज उन्ही बटुकेश्वर दत्त की
पुण्य तिथि की बेला।
बलिदानी बेटों की चिता पर
हर बरस लगेगा मेला।।
चतुर्थ कविता
एवरेस्ट विजेतासर एडमंड हिलेरी के जन्म दिवस पर
20 जुलाई उन्नीस सौ उन्नीस
सर एडमंड हिलेरी।
जन्मे ऑकलैंड न्यूजी में
पिता पर्सुएल माँ jrtyud हिलेरी।।
हिमगिरि के उतुंग शिखर पर
प्रथम दृष्टि है फेरी।
शेरपा तेनसिंग के संगी
वीर-बहादुर जोड़ी।।
शत शत अभिनन्दन है द्वव का
इस धरती पर आए।
20 जुलाई जन्म दिवस पर
सागर माथा मुस्काये।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
सुंदर सृजन....आदरणीय सर जी👍👍👍
ReplyDeleteBahut bahut aabhar
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