तू निरंतर चल

रे मन....तू निरंतर चल
तू थक मत...तू रुक मत
तू केन्द्रित रह अपने लक्ष्य पर
तू निरंतर चल, तू निरंतर चल....
अगर थक जाये शरीर तो
रुक कर थोङा विश्राम कर
पर मन में उठे जुनून को
किसी हाल में ना कम कर....
तू केन्द्रित रह अपने लक्ष्य पर
तू निरंतर चल, तू निरंतर चल....
बाधाएँ आती हैं हर राह में
तेरे सामने भी आयेंगी
पर तेरे बुलन्द हौंसले देखकर
बाधाएँ भी हार जायेंगी
तू केन्द्रित रह अपने लक्ष्य पर
तू निरंतर चल, तू निरंतर चल....
जब तू पहुँचेगा अपनी मंज़िल पर
तो जीत का जश्न तेरा होगा
हर कामयाबी तेरी होगी
तू चमकता सितारा होगा...
तू केन्द्रित रह अपने लक्ष्य पर
तू निरंतर चल, तू निरंतर चल....
किन्तु इसके लिए अनवरत चलना होगा तुझे
मुश्किलों से लड़ना होगा तुझे
बिना रुके....बिना थके
रे मन.....तू निरंतर चल
तू निरंतर चल

रचयिता
मृदुला वैश्य,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय मीठाबेल,
विकास खण्ड-ब्रह्मपुर,
ज़िला-गोरखपुर।

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