हमहू के आगे पढ़ाई देतु ए माई
हमहू के आगे पढ़ाई देतु ए माई
पढ़ लिख के हम कुछ बन जाई
पढ़ लिख के कुछ बनबै जरूर हो
कष्ट तोहार तरबे जरूर हो
बुढ़ाई बेर बेटा बनके करब सहाई
हमहू के आगे पढ़ाई देतु ए माई
बदलत जमाना और बदलत रिवाज बा
बदलत जमाना के लाज लिहाज बा
तोहरे चेहरे देबे मुस्कान लाई
हमहू के आगे पढ़ाई देतु ए माई
हमरा के बेटवा से कम नाही जाना
बेटवा से तनिको कम नाही माना
जवन जवन करिहै दीपक हम कर जाई
हमहूँ के आगे पढाई देतु ए माई
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
पढ़ लिख के हम कुछ बन जाई
पढ़ लिख के कुछ बनबै जरूर हो
कष्ट तोहार तरबे जरूर हो
बुढ़ाई बेर बेटा बनके करब सहाई
हमहू के आगे पढ़ाई देतु ए माई
बदलत जमाना और बदलत रिवाज बा
बदलत जमाना के लाज लिहाज बा
तोहरे चेहरे देबे मुस्कान लाई
हमहू के आगे पढ़ाई देतु ए माई
हमरा के बेटवा से कम नाही जाना
बेटवा से तनिको कम नाही माना
जवन जवन करिहै दीपक हम कर जाई
हमहूँ के आगे पढाई देतु ए माई
रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
bahut achhi kavita👍
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