वृक्ष
प्रकृति का उपहार हैं वृक्ष
वसुधा का श्रृंगार हैं वृक्ष
प्राण वायु उत्सर्जन करके,
नित करते उपकार हैं वृक्ष।।
भूमि का सम्मान हैं वृक्ष
ईश्वर का वरदान हैं वृक्ष,
कलरव मधुर सरस फल शीतल
उपमेय कहीं उपमान हैं वृक्ष।।
गर्मी की शीतल छाँव हैं वृक्ष,
थकते पथिकों को पाँव हैं वृक्ष,
खग वृन्द जहाँ आश्रय पाते,
सुंदर सा एक गाँव हैं वृक्ष।।
रखते जग का ध्यान हैं वृक्ष
निःस्वार्थ करते दान हैं वृक्ष,
मूल्यवान हैं तृण तृण इनका,
पर काट रहे इंसान हैं वृक्ष।।
मनभावन हरियाली हैं वृक्ष
जीवन की खुशहाली हैं वृक्ष,
संकल्प करें बचायेंगे इन्हें,
संकट में हर डाली है वृक्ष।।
रचयिता
वसुधा का श्रृंगार हैं वृक्ष
प्राण वायु उत्सर्जन करके,
नित करते उपकार हैं वृक्ष।।
भूमि का सम्मान हैं वृक्ष
ईश्वर का वरदान हैं वृक्ष,
कलरव मधुर सरस फल शीतल
उपमेय कहीं उपमान हैं वृक्ष।।
गर्मी की शीतल छाँव हैं वृक्ष,
थकते पथिकों को पाँव हैं वृक्ष,
खग वृन्द जहाँ आश्रय पाते,
सुंदर सा एक गाँव हैं वृक्ष।।
रखते जग का ध्यान हैं वृक्ष
निःस्वार्थ करते दान हैं वृक्ष,
मूल्यवान हैं तृण तृण इनका,
पर काट रहे इंसान हैं वृक्ष।।
मनभावन हरियाली हैं वृक्ष
जीवन की खुशहाली हैं वृक्ष,
संकल्प करें बचायेंगे इन्हें,
संकट में हर डाली है वृक्ष।।
रचयिता
गीता गुप्ता "मन"
प्राथमिक विद्यालय मढ़िया फकीरन,
विकास क्षेत्र - बावन,
Nice poem
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