अमर शहीद सरदार ऊधम सिंह

माइकल ओ डायर को गोली,
लंदन मे जाकर मारी।

अमर सपूत अमृत सर वाला
ऊधम सिंह क्रांतिकारी।।

जलियांवाला बाग गा रहा
जिनकी अमर कहानी।

खून का बदला,खून ही होगा
कह गए अमर बलिदानी।।

भारत माँ के अमर पूत
इतिहास लिखा करते हैं।

अपने खून से आजादी के
पृष्ठ लिखा करते हैं।।

13 अप्रैल 1919 की
यह दुखद कहानी।

बैशाखी के पावन पर्व पर
अंग्रेजों ने बंदूके तानी।

सत्यपाल,सैफ़ुउद्दीन किचलू
को गोरे ने जेल में डाला।

रौलट एक्ट के प्रबल विरोधी
आंदोलन कर डाला।

तमतमा गया माइकल डायर
बाग में घेरा डाला।

एक न बचने पाये इंडियन
 यह आदेश निकाला।

चली गोलियाँ 1300 राउंड
मच गई चीख पुकारें।

लाशें बिछ गई,निर्दोषों की
रक्त रंजित हुई दीवारें।

अजनाला का कुआँ पट गया
निर्दोषों की लाशों से।

दानवता अट्टहास कर रही
डूबती टूटी साँसों से।।

सूरज ने मुँह छिपा लिया।
ये दृश्य नहीं वो देख पाया।

तिमिररान्ध चीत्कार कर उठा
जुल्मी ने क्या सितम ढाया।

किया प्रतिज्ञा ऊधम ने तब
माटी का कर्ज चुकाऊँगा।

निर्दोषों की हत्या का मैं
बदला लेने आऊँगा।

दुष्ट फिरंगी माइकल डायर
तुझको मजा चखाऊँगा।

आजादी की बलिवेदी पर
तेरा लहू चढ़ाऊँगा।

की प्रतिज्ञा पूरी उसने
लंदन को प्रस्थान किया।

दो गोली सीने पर मारी
डायर का काम तमाम किया।

पेंटनविले जेल में फाँसी के
फन्दे को चूमा था।

मन्द मन्द मुस्कान लिए
भारत का बेटा झूमा था।

आज शहीदी दिवस ऊधम का
तुमको नमन हमारा है।

सुनाम गाँव का वीर सिपाही
भारत माँ का प्यारा है।

रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।

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