स्वामी विवेकानन्द
स्वामी विवेकानंद जी की पुण्य तिथि पर अर्पित श्रद्धा सुमन
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तेजोमय ज्ञान का प्रखर पुंज,
नरेन्द्र दत्त कहलाये।
दर्शन, इतिहास, साहित्य, योग
का दिग्दर्शन करवाये।
वे युवा शक्ति के परिचायक
वे रामकृष्ण के परम शिष्य।
वे दीन हीन के आलम्बन
भारतीय संस्कृति के सूर्य दिव्य।
हिन्दू संस्कृति के ध्वज-वाहक
विलक्षण प्रतिभा के तुम स्वामी।
भारतीय संस्कृति के उद्घोषक,
तुम ऋषि मुनियों के अनुगामी।
स्तम्भित रह गया विश्व
शिकागो मे गूंजी वाणी।
सुन सम्बोधन भाई बहनों
प्रेम सिक्त वे वाणी।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म हमारा,
हम सबको अपना मानें।
वसुधैव कुटुम्बकम के हम पोषक
और यही सिखाना जानें।।
कोटिक सूर्यों सी आभा ले
तुम भरत भूमि आये।
जगती को आलोकित कर
रामकृष्ण मिशन दूत कहलाये।
स्मृतियाँ अवशेष रह गयीं
आया 4 जुलाई।
शब्द-सुमन श्रदांजलि अर्पित
याद तुम्हारी आई।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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तेजोमय ज्ञान का प्रखर पुंज,
नरेन्द्र दत्त कहलाये।
दर्शन, इतिहास, साहित्य, योग
का दिग्दर्शन करवाये।
वे युवा शक्ति के परिचायक
वे रामकृष्ण के परम शिष्य।
वे दीन हीन के आलम्बन
भारतीय संस्कृति के सूर्य दिव्य।
हिन्दू संस्कृति के ध्वज-वाहक
विलक्षण प्रतिभा के तुम स्वामी।
भारतीय संस्कृति के उद्घोषक,
तुम ऋषि मुनियों के अनुगामी।
स्तम्भित रह गया विश्व
शिकागो मे गूंजी वाणी।
सुन सम्बोधन भाई बहनों
प्रेम सिक्त वे वाणी।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म हमारा,
हम सबको अपना मानें।
वसुधैव कुटुम्बकम के हम पोषक
और यही सिखाना जानें।।
कोटिक सूर्यों सी आभा ले
तुम भरत भूमि आये।
जगती को आलोकित कर
रामकृष्ण मिशन दूत कहलाये।
स्मृतियाँ अवशेष रह गयीं
आया 4 जुलाई।
शब्द-सुमन श्रदांजलि अर्पित
याद तुम्हारी आई।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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