कारगिल शहीदों का संदेश

यदि तुम मेरे घर पहुँच सको,
तो मेरा संदेशा पहुँचा देना।
यदि तुम मुख से कुछ न कह सको तो,
इशारों से समझा देना।

यदि हाल पिता मेरे पूछें ,
तो अम्बर की ओर दिखा देना।
ये भी अगर न समझें,
तो जलता हुआ दीया बुझा देना।

यदि माँ की नजरें मुझको ढूँढें,
तो सूनी गोद दिखा देना।
इतने पर भी घर न मानें
तो टूटा फूल दिखा देना।

यदि भईया हाल मेरा पूछें,
तो खाली हाथ दिखा देना।
इतने पर भी न समझें,
तो बच्चे उन्हें दिखा देना।

यदि मेरी बहना हाल पूछे,
तो सीने से उसे लगा लेना।
इतने पर भी न समझे तो,
चुनरी उसे ओढ़ा देना।

यदि हाल मेरा बच्चे पूछें तो,
ले गोद दुलार लुटा देना।
भाई से यह कहना कि,
इन्हें पिता की याद भुला देना।
साथी यदि तुम पहुँच सको तो,
सबको सलाम पहुँचा देना।।

रचयिता
श्रीमती मीना सिंह,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय खेरागढ़,
विकास खण्ड-खेरागढ़, 
जनपद-आगरा।

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