मिशन एक सपना

हम शिक्षक हैं अग्रसर, क्यूँ ये अवसर हम गँवाएँ।
अपनी कर्तव्यनिष्ठा को आज हम प्रेषित कर दिखाएँ।।
1- सृजन कर गुणों का, निखारा जिस चमन को।
    नहीं भान आया चुभा क्या किसी के मन को।।
2- ये बिखराव कैसा, ये खासी मुश्किलें क्यूँ।
    समेटने लगे हम बिखरे, अपने सपन को।।
3- वक्त दला हुआ, ज्यों सवेरा जहाँ मैं।
   हर शिक्षक करे, नई नई कोशिश यहाँ हैं।
4- कभी विभागीय फरमान, बदल देते दिशा हैं।
   करे क्या ये राही, सोचे खड़ा हूँ कहाँ मैं।।
5- काम करूँ या सीख दूँ, या शिक्षा समझ न आये।
  अपनी विधाओं में ये कहीं पर, बैठ ही न पायें।।
6- प्रयास अनवरत कर, कक्षा में बदलाव आया
   फिर से रोशन कक्ष, “मिशन शिक्षण संवाद” भाया।।
7- यहाँ प्रतिभाओंं को है मिला, स्थान अपना अपना।
    मुझे भी है लगन ऐसी, नव सृजित हो अपना सपना।।
8- सँवरे सभी का जीवन, है सभी छात्र भोले-भाले।
    शिक्षित हों लेकर शिक्षा, हम अनमोल मोतियों को सँवारें।।
9- मिशन की ये धारणा भावना है कदाचित।
करें शिक्षित सभी को, नवीन विधाओं से संचारित।।
10- शिक्षकों का भी बढे़ गौरव, सभी प्रतिभाओं का भी अपना।
तभी पूर्ण होगा स्वयं व मिशन शिक्षण संवाद का ये सपना।।
                               
रचयिता
श्रीमती नैमिष शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय-तेहरा,
विकास खंड-मथुरा,
जिला-मथुरा।
उत्तर प्रदेश।

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