५२-डॉ० मानिक चन्द्र पाल पू०मा०वि० डभका, औराई, भदोही

मित्रों आज के अनमोल रत्नों के परिचय के क्रम में हम मिशन संवाद के माध्यम से आपको जनपद- भदोही (संत रविदास नगर) के सम्मानित और बेसिक शिक्षा में परिवर्तन के प्रतीक डाॅ मानिक चन्द्र पाल जी से करा रहे हैं। आपकी शिक्षण विधियाँ अद्भुत व्यवहारिक प्रयोगों पर आधारित हैं। जिससे आपको अधिगम का डाॅक्टर कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। क्योंकि आपकी उच्च शिक्षा और लेखन क्षमता से केवल बेसिक शिक्षा ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षा के विद्यार्थी भी लाभान्वित हो रहे हैं। आपकी अनुकरणीय शिक्षण विधियों से हम जैसे अनेकों शिक्षक विगत कुछ वर्षों संवाद के माध्यम से सीख कर  अपने विद्यालय के बच्चों को लाभान्वित करा रहे हैं। आगे के लिए भी आपसे निवेदन है कि आपसी सीखने - सिखाने के मिशन संवाद के माध्यम से लाखों शिक्षकों तक अपने शिक्षण कौशल को पहुँचाते रहेंगे।
तो आइये जानते हैं और सीखते हैं अपकी व्यवहारिक शिक्षण व्यवस्था को आपके ही शब्दों में - -
मेरी नियुक्ति विशिष्ट बी टी सी के रुप में 25 नवम्बर 1999 को हुई।   25 नवंबर 1999 से 26 जनवरी 2005 तक प्राथमिक विद्यालय में सेवा करने के उपरान्त 27 जनवरी 2005 से अब तक पूर्व माध्यमिक विद्यालय डभका, औराई में शिक्षण कार्य करता आ रहा हूँ।
मेरा सबसे पहला कार्य सत्रारम्भ में कक्षा के सभी छात्रों का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए उनके शैक्षिक स्तर की पहचान करना होता है। पुन: तेज बच्चों को छांटकर उनकी संख्या के आधार पर 5 से 7 समूहों में बाँटते हुए प्रत्येक समूह से एक तेज छात्र को समूह नायक के रुप में जोड़ दिया जाता है। इसके पश्चात कक्षा के समस्त समूहों को उनके समूह नायक के साथ बैठाकर शिक्षण कार्य किया जाता है। इन सभी समूहों में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित की जाती है जो हमारे शिक्षण कार्य को आसान बना देता है।
विद्यालय में कक्षा शिक्षण से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के tlm एवं slm बच्चों के माध्यम से ही निर्मित कराकर शिक्षण कार्य करता हूँ। बच्चे यथासंभव स्वयं tlm को बनाते हुए सीखते है, इससे शिक्षण कार्य काफी सरल एवं सुगम हो जाता है।
बच्चों का सामान्यज्ञान बढ़ाने हेतु 545 महत्वपूर्ण प्रश्नों का सेट उपलब्ध करा दिया गया है, जिसे वे खाली समय में तैयार करते है। इन प्रश्नों को प्रार्थना सभा में प्रतिदिन पूछा भी जाता है
विभिन्न विषयों के पढ़ाए गये पाठ से चुने हुए प्रश्न छात्रों द्वारा कागज के टुकड़ो पर लिखवाकर दवा की पुड़िया के रूप में बंद करके कक्षावार टाफी के डिब्बों में भर कर रख दिया जाता है। जिसके माध्यम से प्रत्येक शनिवार को बच्चों की तैयारियों का परीक्षण किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्रत्येक बच्चा अपनी बारी आने पर डिब्बे से एक पुड़िया उठाएगा और उसका उत्तर बताएगा।
उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ बच्चों द्वारा करायी जाती है जिसको समय-समय पर संवाद समूह में प्रेषित करता रहूँगा ।
विद्यालय में कम्प्यूटर की बेहतर शिक्षा प्रदान करने तथा बिजली कटौती की समस्या से निजात पाने हेतु समस्त स्टाफ के सहयोग से इनवर्टर की व्यवस्था की गयी है।
अन्य गतिविधियों एवं शिक्षणेत्तर क्रिया-कलापों के क्रियान्वयन के रुप में प्रत्येक वर्ष तीन विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है जो निम्नानुसार है-
(1) ग्रीष्मकालीन शिविर-  ग्रीष्मावकाश से पूर्व 10 दिन का शिविर संचालित किया जाता है। जिसमें सिलाई- कढ़ाई, कोलाज निर्माण, मेंहदी रचाने तथा रंगोली का प्रशिक्षण दिया जाता है।
(2) वर्षाकालीन शिविर-माह सितम्बर के अन्त अथवा अक्टूबर के प्रारम्भ में बच्चों को अचार एवं मुरब्बा बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
(3) शीतकालीन शिविर- दिसम्बर माह में 10 दिवसीय इस शिविर में बच्चों को ऊनी वस्त्रों के निर्माण की जानकारी प्रदान की जाती है।
लेखन के क्षेत्र में विशेष रुचि के कारण मैंने पर्यावरणीय अध्ययन, एचआईवी/एड्स, संसाधन एवं पर्यावरण, आहार एवं पोषण के मौलिक सिद्धांत जैसी पुस्तकों को लिखने का प्रयास किया जो स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में सहायक सिद्ध हो रही है।
बेसिक शिक्षा के भविष्य और सम्मान के प्रतीक डाॅ मानिक चन्द्र पाल जी और आपके सम्मानित विद्यालय परिवार को मिशन संवाद की ओर से बहुत - बहुत शुभकामनाएँ!
☆मिशन संवाद☆
मित्रों यह एक शिक्षक से शिक्षक और शिक्षक से समाज के बीच अपने अच्छे कार्यों को पहुँचाने का माध्यम  मिशन संवाद है।
जिसका उद्देश्य एक दूसरे से संवाद के माध्यम से सीखना सिखाना तथा शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए बेसिक शिक्षा से नकारात्मक माहौल को कम से कम करते हुए समाज के बीच बेसिक शिक्षा और शिक्षक के प्रति विश्वास पैदा करना है।
इसमें सहयोग के लिए आप स्वयं और अपने आसपास के गुमनाम शिक्षा के लिए काम करने वाले शिक्षकों और विद्यालयों की गतिविधियों और उपलब्धियों का फोटो सहित विवरण हमारे पास भेज कर शिक्षा एवं शिक्षक  सम्मान के भागीदार और रक्षक बनें। क्योंकि बुराई स्वप्रचारित होती है लेकिन अच्छाईयों को समाज के सामने लाने के लिए प्रयास करने पड़ते हैं। इसलिए आप भी अपना विवरण भेजने में संकोच न करें।
विवरण भेजने के लिए मिशन संवाद का WhatsApp No- 9458278429 है।
साभार : शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
आपका सहयोगी  शिक्षक
विमल कुमार
कानपुर देहात
08/07/2016

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