४३- अखलाक अहमद, प्रा० वि० तितावी-१ मुजफ्फरनगर

मित्रों आज हम आपको बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्नों के परिचय में एक ऐसे विद्यालय और उसके प्रधानाध्यापक से परिचय करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी कर्तव्यनिष्ठा और सकारात्मक सोच से विद्यालय को और अपने सम्मान को उस ऊँचाईयों तक पहुँचाया जहाँ तक शायद हम जैसे आम शिक्षक अभी सोच भी नहीं पा रहे हैं। क्या हमने आपने अपने विद्यालय को ISO प्रणाम पत्र के लिए सोचा? क्या सीसीटीवी कैमरों से सुरक्षा का विचार मन में आया? क्या स्वयं अपने और बच्चों के लिए बायोमैट्रिक मशीन द्वारा उपस्थिति प्रमाणित करने के विषय में सोचा? अधिकतर हम जैसे शिक्षकों के उत्तर नहीं में ही होंगे।
तो आइए जानते हैं, पढ़ते हैं, समझते हैं और विचार करते हैं उस महापुरुष के सम्बन्ध में जिसने यह सब एक सरकारी और कलंकित कही जाने वाली व्यवस्था को कैसे परिवर्तित कर दिखाया। उन्हीं के शब्दों में---'
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मित्रों,
मैं अख़लाक़ अहमद (प्र0 अ0) प्रा0 वि0 तितावी न0- प्रथम वि0 क्षे0- बघरा, जनपद- मुज़फ्फरनगर ,उ0प्र0
सितम्बर- 2013 को प्रा0 वि0 तितावी न0 1 वि0 क्षे0- बघरा, जनपद- मुजफ्फरनगर (उ0प्र0) में हमने प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्ति पाई थी। उस समय विद्यालय में एक शि0 मि0 दो स0 अध्यापिकाएँ नियुक्त थीं और विद्यालय में 123 बच्चे नामांकित थे। जिनमें से 35 से 50 के मध्य उपस्थिति रहती थी। विद्यालय परिसर सहित कक्षा- कक्षों में फर्श नहीं था। शौचलाय भी खंडहर बना था। विद्यालय परिसर में कोई फूल फुलवारी का पौधा भी नहीं था। बच्चों सहित शिक्षकों की उपस्थिति अनियमित थी। शिक्षण स्तर निम्न था। ऐसी व्यवस्था को देखकर हमें अपने सारे सपने ध्वस्त नजर आने लगे।______________
लेकिन काफी विचार विमर्श के पश्चात हमने चैलेन्ज मानकर लक्ष्य निर्धारित कर कार्य प्रारम्भ किया गया। बस फिर क्या था?
"अकेला ही चला था मंज़िले जानिब।।
लोग मिलते गए और कारवां बनता गया।।"
01. सर्वप्रथम डी0 पी0 आर0 ओ0 ग्राम पंचायत सचिव व ग्राम प्रधान के सहयोग से कमरों,बरामदा, कार्यालय, विद्यालय परिसर में आर सी सी फर्श लगवाया गया जिसमें लगभग 8.5 लाख रुपये का खर्च आया।
02. लगभग 38 ट्रॉली मिट्टी डलवाकर भराव के पश्चात प्रार्थना सभा का स्थल का निर्माण कराया गया।
03.जीर्णशीर्ण शौचालय का पुनर्निर्माण अपने निजी खर्च पर करवाकर उसमें टाईलस, यूरिनल और वॉशबेसिन आदि  लगवाई गयी।
04.विद्यालय का मुख्य द्वार बनवाया गया और टूटी-फुटी बाउड्रीवाल का पुनर्निर्माण 14 वें वित्त से करवाया गया।
05.कार्ययोजना अनुसार तत्कालीन आदर के योग्य जिलाधिकारी श्री कौशल राज़ शर्मा जी से मिलकर 02KW का सोलर सिस्टम (लागत4.60लाख रूपये )स्वीकृत कराया गया।
6.अध्यापकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस डिवाइस लगवायी गयी।
07.समाजसेवी संस्था अभिनव NGO से समन्वय स्थापित कर सी सी टी वीं कैमरे लगवाये गए।
08.अभिनव सस्था द्वारा ही विद्यालय परिसर में वाटर कूलर (फ्रीज़) विद प्यूरीफायर लगवाया गया।
09.जिलाधिकारी महोदय से प्रार्थना कर दो हैण्डपम्प जलनिगम से लगवाये गए।
10.जिला अधिकारी महोदय के सहयोग से मुख्य द्वार के सामने मैन रोड बनवाया गया (लागत 3.5लाख रूपये)।
11. विद्यालय परिसर में अपने निजी व्यय पर फूल-फुलवारी आदि लगवाई गयी और अपने घर के जकात व दान के पैसों से सबमर्सिबल लगवाया गया। जिससे पौधों को पानी लगाया जाता है।
12.अपने निजी प्रयास और मित्रों के सहयोग से विद्यालय में पुस्तकालय का निर्माण किया गया। पुस्तकालय में लगभग 2500 ज्ञानवर्धक किताबें मौजूद है ।
13.अपनी ही सेलरी से एक एम्प्लीफायर विद् कॉर्डलेस माइक सिस्टम खरीदा गया जो प्रार्थना सभा के साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में काम आता है।
14. प्रत्येक क्लास के लिए डायस टेबुल निजी व्यय पर बनवाये गए।
15. NGO द्वारा किचन में टाइल्स लगवाई गयी और कक्षा 01 में फर्नीचर व् 06 पंखे उपलब्ध करवाये गए। फिटिंग व् अन्य रखरखाव शिक्षको ने आपसी सहयोग से पूर्ण किया।
16. NGO के सहयोग से बच्चों का एक शैक्षिक भ्रमण देहली ले जाया गया जहाँ पर बच्चों ने मेट्रो ट्रेन की यात्रा, जामामस्जिद, गुरद्वारा, लालकिला, सहित वहाँ की ट्रैफिक व्यवस्था का अवलोकन किया।
17.शायद भारत का पहला ISO सर्टिफाइड परिषदीय प्रा0 वि0 है।
18.बाल दिवस, शिक्षक दिवस, राष्ट्रीय पर्वो सहित ईद, दीपावली, होली जैसे त्योहारों के साथ- साथ बच्चों का जन्मदिन आदि मनाये जाते है।
19.बच्चों को प्रति दिन सामान्य ज्ञान के प्रश्न, अंग्रेजी कन्वर्सेशन, पोयम पहाड़े काँटिंग आदि प्रार्थना सभा व छुट्टी से पूर्व कराए जाते है। प्रार्थना सभा में इसके अलावा प्रार्थना हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी में करायी जाती है।
20.उपस्थिति का प्रतिशत व ठहराव के लिए प्रार्थना सभा में अनुपस्थित बालक के अभिभावक को फोन किया जाता है रेस्पान्स न मिलने पर उसके घर पहुँचकर सायकोलोजिकल समझाया जाता है। जिससे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति 96% से 98% तक रहती है।
21.मुस्लिम समाज के तथाकथित धर्म गुरु(मौलवी)के बच्चों का भी नामांकन किया गया है। जिससे अब विरोध खत्म हो गया, वरना वही समय स्कूल का होता था और वही समय मस्जिद मदरसे का। इससे सभी समाज के बच्चे आधुनिक शिक्षा से जुड़ कर पढ़ रहे हैं।
22.नामांकन के समय तीन फोटो बच्चे के तीन फोटो माता के और तीन फोटो पिता के लेकर एक आईडी और फॉर्म भरवाया जाता है।
23.स्कूल वर्क और होम वर्क पर स्टार दिए जाते है। मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक और वार्षिक स्टार काउंट कर फर्स्ट सेकैण्ड थर्ड को पुरस्कृत किया जाता है।
24. विद्यालय में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण के लिए कम्प्यूटर सहित टी एल एम का उपयोग किया जाता है। गतिविधि आधारित शिक्षण को वरीयता दी जाती है। कमजोर बच्चों को अन्य बच्चों के बराबर अधिगम के लिए अलग से उपचारात्मक शिक्षण किया जाता है
25.लगातार उपस्थित रहने वाले स्वच्छ बच्चों को भी पुरस्कृत किया जाता है।
 26. नए सत्र से बच्चों का बैंक प्रारम्भ किया जायेगा जिससे बच्चों में बचत की भावना उतपन्न हो सकेगी।
27.प्रति दिन प्रार्थना सभा में एक सामान्य ज्ञान का प्रश्न और एक अंग्रेजी का शब्द मीनिंग सहित बताया जाता है और छुट्टी के समय पुनः पूछा जाता है।ये सब नोटिस बोर्ड पर भी लिख कर छोड़ा जाता है जिससे बालक भूलने पर पुनः देख सके।
28.विद्यालय परिसर में यदि कोई पेड़ का पत्ता कागज पड़ा है तो बच्चे उसे उठा कर डस्टबिन में डालेंगे ऐसी आदत विकसित की गयी है जिससे विद्यालय तो साफ रहेगा ही साथ ही बच्चे स्वछता की भावना जाग्रत होती है।
29.शिक्षण कार्य समय सारिणी के अनुसार प्रत्येक विषय अध्यापक को दिनाँक की स्टेम्प दी हुई है होमवर्क या स्कूल वर्क देते और चेक करते समय स्टेम्प से डेट अंकित स्वयं या क्लास मोनिटर से करवाएगा ।
30.पौधो की देखभाल हेतु बच्चों के ग्रुप बनाकर जिम्मेदारी सौपी गयी है।
31. बच्चों का साप्ताहिक अख़बार निकलाने की योजना जुलाई माह से है।
इस प्रकार आज आप सब की दुआओं व सहयोग से विद्यालय में बच्चों के प्रवेश के लिए कान्वेंट स्कूलों की तरह मारा - मारी और सिफारिश आती हैं। नामांकन- 201 तक पहुँच चुका है। प्रवेश के लिए तितावी सहित निकटवर्ती गाँव धनसनी, नसीरपुर, लखान और जसोई तक के प्राइवेट स्कूलों के  बच्चे विद्यालय में नामांकित हैं। इस सत्र में अब तक 62 छात्रों का नामांकन हो चुका है। जिनमें 42 बच्चे प्राइवेट स्कूलों को छोड़ कर आये हैं इसलिए प्राइवेट स्कूलों के संचालकों में हड़कम्प के आपका ये विद्यालय सभी के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।
हमारा मानना है कि---
"विद्यालय और बच्चे ही हम सब का अस्तित्व है जिन्हें बचाने के हम सब आगे बढ़ें"
धन्यवाद
बेसिक शिक्षा में परिवर्तन की लहर के ध्वज वाहक और सम्मान के रक्षक भाई अख़लाक अहमद जी को उनके सहयोगी विद्यालय परिवार सहित अनन्त ऊँचाईयों तक सम्मानित होने की आकांक्षा के साथ मिशन संवाद की ओर से बहुत - बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रों आप भी बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की  नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ

विमल कुमार
कानपुर देहात
23/06/2016

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