सामाजिक सहभागिता की मिसाल

सामाजिक सहभागिता की मिसाल बना प्रा० वि० मत्तेपुर, सिधौली, सीतापुर
आस्था के साथ सम्पूर्ण क्षेत्रवासी को विद्यालय से जोड़ने की एक छोटी सी कोशिश -


ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद विद्यालय में एक भव्य कार्यक्रम करना चाहता था ताकि छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक विद्यालय से जुड़ सकें। धन अभाव के कारण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार नहीं हो पा रही थी। SMC अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पूर्व एवं वर्तमान प्रधान, सम्मानित व्यक्ति, अभिभावक के साथ इस कार्यक्रम के आयोजन हेतु सुझाव आमंत्रित किया गया। सभी लोगों ने ज्येष्ठ मास के द्वितीय बड़े मंगलवार में एक विशाल भण्डारे की सहमति जताई। इस भण्डारे में लगभग 1700-1800 लोगों के प्रसाद हेतु धन कहाँ से आयेगा इस पर विचार -विमर्श होने लगा। यह बात मैंने अपने पिताजी एवं परिवार में बतायी तो पिताजी ने तत्काल 2000 रु०. बूंदी हेतु, बहन - बहनोई ने 1700 रु०. पूड़ी-सब्जी हेतु दिये। इस बात की जानकारी मैंने विद्यालय परिवार एवं क्षेत्रवासी को बतायी। उन्होंने भी सहयोग करने के लिए इच्छा जतायी। पूर्व प्रधान अजय जी ने टेन्ट, बर्तन एवं गायत्री परिवार के माध्यम से पूजा अर्चना एवं भजन, वर्तमान प्रधान मोहन लाल जी ने एक टीन रिफाइन्ड, SMC अध्यक्ष जगत पाल जी ने 50 किलो आटा 5 ली० सरसों का तेल, रामेश्वर (भगत जी) ने लकड़ी, उत्तम जी (अभिभावक ) ने कद्दू, प्रताप जी ने आलू, रणविजय, गंगाद्दीन, SMC उपाध्यक्ष रामकली जी ने 80 किलो आटा, दिग्विजय, बिहारी, रघुवीर, बल्लू आदि ने भण्डारे का पूरा प्रसाद बनाने एवं सुनील, बिन्द्रा अन्य बच्चों ने श्रमदान करने की इच्छा जतायी। जिस दुकान से सामग्री खरीदी गई बघऊ जी ने दोना विद्यालय के सहयोग के लिए अपनी तरफ से दिये। कुछ ग्रामवासियों ने सहयोग राशि भी दी। फूलमाला के लिए लखनऊ के ग्रामवासी ने अपने खेत से तीन किलो गेंदा के फूल दिये। इस प्रकार एक छोटी सी सोच को ग्रामवासियों की मदद से साकार करने में सफलता मिली। सभी को प्रसाद के रूप में पूड़ी - सब्जी एवं बूंदी व ठण्डा पानी दिया गया। कार्यक्रम सुबह 10:30 बजे से 5:30 बजे तक चलता रहा। क्षेत्रवासी के अलावा राहगीरों ने भी प्रसाद ग्रहण किया।
इस भण्डारे से विद्यालय को होने वाले लाभ -
1- विद्यालय की सुरक्षा एवं निगरानी।
2- विद्यालय में लगे पेड़-पौधों में ग्रीष्म अवकाश में भी लोगों द्वारा सिंचाई करना।
3- ग्रीष्म अवकाश में भी कमजोर बच्चों का दो घण्टे शिक्षण कार्य सम्मानित बुजुर्ग रामेश्वर (भगत जी) द्वारा ।
4- छोटे एवं बड़े बच्चों को विद्यालय से भयमुक्त करना एवं उन्हें विद्यालय से लगाव उत्पन्न करना।
5- क्षेत्रवासियों को सरकारी स्कूल की पुरानी छवि को धूमिल कर नयी छवि को प्रदर्शित करना।
6- विद्यालय के प्रति महिलाओं की सहभागिता को बढ़ाना।
दुर्गेश कुमार (स० अ०)
मिशन शिक्षण संवाद सीतापुर
प्रा० वि० मत्तेपुर, ब्लाक-सिधौली, सीतापुर

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