कण्डों की कलाकारी, डॉ० खुर्शीद हसन,पू०मा०विद्यालय हस्तिनापुर,बड़ागाँव, झाँसी
यह तो बेसिक शिक्षा का शिक्षक ही हो सकता है जो उपलों को भी सुन्दर बना दे
उपलों की सुंदरता
गाय या भैंस के गोबर से बने उपलों का प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी ईंधन के रूप में किया जाता है ।
लेकिन क्या उनका प्रयोग साज-सज्जा के लिये भी किया जा सकता है ?उपलों को सुंदर रूप प्रदान करने का अनोखा कार्य किया है...हमारे विद्यालय पूर्व माध्यमिक विद्यालय हस्तिनापुर, बड़ागाँव, झाँसी में कार्यरत कला अनुदेशक कु0 निहारिका रावत ने । छात्रों ने भी इस कार्य में रूचिपूर्ण तरीके से हिस्सा लिया।
साभार:_ डॉ0 खुर्शीद हसन
मिशन शिक्षण संवाद झाँसी
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टीम मिशन शिक्षण संवाद
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