२०-शिवम सिंह, प्रा० वि० जहुरुद्दीनपुर, सुइथाकला, जौनपुर
मित्रों आज हम आपका परिचय एक ऐसे युवा शिक्षक से करा रहे हैं जिसमें राष्ट्रीयता का जज्बा कूट-कूटकर भरा है। राष्ट्र के लिए कुछ करने की तमन्ना के साथ अपने विद्यालय के प्रति पूर्ण समर्पित है। आपके कुशल नेतृत्व क्षमता और सरल व्यवहार ने ऐसा जादू किया कि आज बच्चे, अभिभावक, सहयोगी शिक्षक, ग्राम प्रधान से लेकर रसोइया तक सब विद्यालय के सहयोग के लिए तत्पर रहते हैं। इन महान गुणों के कारण ही आप अन्य साथियों के लिए प्रेरणा के स्रोत भी हैं। जो शिक्षक एक नौकर की सोच लेकर कहते हैं कि बने रहो पगला, काम करेगा अगला। ऐसा न सोचो, नहीं तब क्या होगा जब आपका जीवन पगलों के बीच में होगा।
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तो आइए जानें युवा शिक्षक
भाई शिवम सिंह
प्राथमिक विद्यालय जहुरुद्दीनपुर, सुइथाकला,
जनपद-जौनपुर के विचार उनके शब्दों में---
भाई शिवम सिंह
प्राथमिक विद्यालय जहुरुद्दीनपुर, सुइथाकला,
जनपद-जौनपुर के विचार उनके शब्दों में---
सम्मानित शिक्षक भाईयों एवं बहिनों
विद्यालय में मेरी नियुक्ति 14 नवम्बर- 2015 को हुई थी। उस समय विद्यालय में बच्चों की संख्या मात्र 25 थी। विद्यालय में दो समायोजित शिक्षामित्र शिक्षिकाएँ थी। बच्चों को विद्यालय या विद्या से कोई रूचि नही थी। कारण बच्चों को शिक्षक अपना नहीं बना पाये थे। बच्चों को अपना बनाने के लिए खुद बच्चा बनना पड़ता है। हम बच्चों के साथ नाचते, गाते, खाना खाते और खेल ही खेल में बच्चों में शिक्षा की जिज्ञासा रुपी बीज को रोपण करने का प्रयास करते गये। जिससे बच्चों के मन में शिक्षा और विद्यालय के प्रति रुचि का जागरण हो गया। बच्चों को समय से विद्यालय में बुलाने के लिए शिक्षक को स्वयं समय से पहुँचकर प्रार्थना सभा में शामिल होना चाहिए। इसलिए हम स्वयं 5:30 बजे घर से निकलकर समय पर स्कूल पहुँचते रहे। बच्चों के खेल के सामान लाये जिन्हें पहले पाने के लिए भी बच्चे पहले आने का प्रयास करने लगे। आज विद्यालय का माहौल बिल्कुल बदला हुआ नजर आ रहा है।
विद्यालय परिवेश को बदलने के लिए जो खर्च लगा उससे हम शिक्षकों ने मिलकर वहन किया। विद्यालय परिसर में प्राथमिक व पूर्व मा0 विद्यालय दोनों हैं, ऐसे में जब हम कोई कार्यक्रम कराते तो जूनियर के बच्चे भी उत्सुकता से देखते। अतः मैंने सभी नवाचार में उन बच्चों की भी सहभागिता सुनिश्चित करायी। जूनियर में दो विज्ञान की शिक्षिका सीमा यादव व् संजू पाल जी ने हमेशा साथ दिया। मुझे बस पहल करनी थी अंजाम तक पहुँचने में ये दोनों बहिनें मेरा साथ देती रहीं।
प्राथमिक में इंचार्ज है सुनीता देवी, इसरावती
जूनियर में झगड़ू राम, सीमा यादव और संजू पाल जी।
जूनियर में झगड़ू राम, सीमा यादव और संजू पाल जी।
अभिभावक भी अब शिक्षा के महत्व को समझने लगे। पास्सी, मुसहर, चमार, व अन्य जाति के लोग अब अपने बच्चों को विद्यालय समय से भेजने लगे।
विद्यालय में बच्चों की जिज्ञासा बढ़ाने हेतु पुस्तकालय का उद्घाटन abrc पाठक जी द्वारा विद्यालय उत्सव के दौरान कराया गया।
बच्चे नयी चमक दमक वाली किताबें देख बहुत खुश हुए।
विद्यालय में बच्चों की जिज्ञासा बढ़ाने हेतु पुस्तकालय का उद्घाटन abrc पाठक जी द्वारा विद्यालय उत्सव के दौरान कराया गया।
बच्चे नयी चमक दमक वाली किताबें देख बहुत खुश हुए।
प्रातः प्रार्थना सभा में बच्चे योग, सामान्य ज्ञान , we shall overcome गीत, हिन्द देश के निवासी ऐसे अनेकों गीत प्रस्तुत करते हैं।
परिवर्तन लाने के लिए किसी सरकार या संस्था की जरुरत नहीं है। जरूरत होती है दृढ़ इच्छा शक्ति की। जिसने हमारे विद्यालय को ब्लॉक स्तर पर केवल कुछ महीनों में चर्चा का विषय बना दिया।
बच्चों के मन से डर दूर करने और आत्म विश्वास के साथ लोगों के सामने बोलने की कला विकसित करने हेतु चार्ट प्रदर्शनी लगवायी गयी। जिसमें कमज़ोर और तेज़ बच्चों के मिश्रित समूह बनाया गया। हर समूह को एक विषय दिया गया जिस पर उनकी पूरी तैयारी कराई गयी। प्रदर्शित होने के दिन बच्चे नर्वस थे मगर जैसे-जैसे लोग आते गए और बच्चों का डर दूर होता गया। अब बच्चे अपने शब्दों में बोल और समझा रहे थे।
शुरू में जो संख्या 25 थी वह आज 122 पहुँच गई। क्रिसमस क्या होता है बच्चों को बताया गया। हम सब मिलकर पार्टी किये। बच्चे रंगारंग कार्यक्रम दिए। मैंने सांता क्लाउस बन बच्चों को यीशु व नैतिकता की बातें बतायीं।
Tess india नामक संस्था द्वारा जिला सुगमकर्ता हेतु प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ।
Teachers of india द्वारा मेरे द्वारा बनाये गए संसाधनों को स्वीकृत किया गया।
हमारा मानना है कि -'
"ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए लम्बी नहीं। यही सोचकर हर काम को अपना शत प्रतिशत देता हूँ। राष्ट्र गौरवशाली तब बनेगा जब शिक्षक अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करेगा। व्यक्ति यदि केवल एक सुविचार का अनुसरण करें तो जीवन सफल हो जाए।
मैंने अपने जीवन में सत्यम् शिवं सुन्दरम् को चुना है।
सत्य मेरे पग, शिव मेरे कर
सुन्दर मेरा मन।
मैंने अपने जीवन में सत्यम् शिवं सुन्दरम् को चुना है।
सत्य मेरे पग, शिव मेरे कर
सुन्दर मेरा मन।
कर्म ही पूजा है।
जय हिन्द!
जय हिन्द!
मित्रो आपने शिवम जी के विचार पढ़े, उससे स्पष्ट इनके हौसले की झलक मिलती है।
अतः मिशन संवाद की ओर से ऐसे उत्साही, प्रेरणा के स्रोत शिक्षक भाई को बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रों आप भी बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिलाकर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बन कर अपने शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
विमल कुमार
कानपुर देहात
05/06/2016
कानपुर देहात
05/06/2016
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