१७-दुर्गेश कुमार, प्रा० वि० मत्तेपुर, सिधौली, सीतापुर

मित्रों आज हम आपको बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्नों की खोजशाला से प्राप्त एक ऐसे अनमोल रत्न का परिचय करा रहे हैं। जिन्होंने सामाजिक सहभागिता की क्या अद्भुत मिसाल कायम की, जो हम जैसे अनेकों शिक्षकों के लिए नयी प्रेरणा स्रोत नजर आ रहा है। अपने सेवारत गाँव में ऐसा जादू किया कि गाँव के लोग विद्यालय के पेड़ - पौधों की सिंचाई करते हैं परिवेश की सफाई करते हैं। सभी राष्ट्रीय पर्वों में सहभागिता करते हैं। विद्यालय की रखवाली करते हैं। बच्चों को पढ़ाने में सहयोग करते हैं। जिन्हें हम फोटो के माध्यम से स्पष्ट रूप से देख भी सकते हैं और स्वयं दुर्गेश जी के शब्दों में पढ़ भी सकते हैं।

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नमस्कार,
आदरणीय शिक्षक परिवार,
अर्न्तजनपदीय स्थानान्तरण में 05/08/2013 को सीतापुर जनपद में मेरी नियुक्ति स० अ० / इं० प्र० अ० के रूप में नवीन विद्यालय प्रा० वि० मत्तेपुर, ब्लाक-सिधौली, न्याय पंचायत-नीलगाँव में हुई। इस विद्यालय में संसाधनों की कमी मुझे सौगात के रूप में मिली थी। सर्वप्रथम मैं अकेला अध्यापक, बच्चों की संख्या 25, MDM में राशन की कमी, कन्वर्जन कास्ट एवं रसोईया मानदेय शून्य, शिक्षण कार्य के लिए न ब्लैक बोर्ड, पर्याप्त चटाई नहीं, बच्चों के पानी पीने के लिए न हैण्डपम्प, विद्यालय की कंकरीट एवं ऊसर युक्त जमीन जिसमें कोई भी पौधा नहीं, न ही विद्यालय के आस-पास कोई वृक्ष जिसकी छाया हम लोगों को मिल सके। विद्यालय गाँव से आधा किलोमीटर दूर खेत के बीच में बना था। यह विद्यालय जुलाई-2013 से संचालित था किन्तु MDM बनने की कोई व्यवस्था नहीं थी। मैने यहाँ आकर पहले तो बच्चों का नामांकन 25 से 42 किया। ये सारे बच्चे बगल के जनपद बाराबंकी से SMC अध्यक्ष के सहयोग से लाये। विद्यालय की स्थिति सुधारने के लिए पहले MDM की गुणवत्ता हेतु भोजन की व्यवस्था स्वयं प्रधान जी से विचार विमर्श करके संचालित करने लगा। MDM धनराशि समय से न प्राप्त होने के बावजूद रसोईया मानदेय अपने वेतन से भुगतान करना, त्यौहार में साथ के कर्मियों का ख्याल रखना, समय से स्कूल खोलना बन्द करना, शिक्षण कार्य ईमानदारी से करना आदि देखकर गाँववाले विद्यालय पर विशेष ध्यान देने लगे। गाँववालों के इस लगाव से मुझे विपरीत परिस्थितियों में भी कार्य करने की शक्ति मिलती रही। विद्यालय प्रांगण में क्यारी खोदकर खेत की मिट्टी, गोबर की खाद, बाँस द्वारा क्यारी बनाना, पेड़ लगाना एवं पौधों में पानी डालने के लिए इंजन द्वारा पूरे विद्यालय परिसर को पानी से भर देना। उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया। SMC को सक्रिय कर बच्चों के घर - घर जाकर उनकी स्थितियों की जानकारी ली। SMC अध्यक्ष श्री जगत पाल यादव से सहयोग माँगा कि जब तक हैण्डपम्प न लगे तब तक बच्चों एवं MDM बनवाने हेतु पानी की व्यवस्था करवाये एवं विद्यालय को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने हेतु लोगों को प्रेरित करें। अध्यक्ष जी ने पानी की व्यवस्था एवं विद्यालय को अच्छी तरह संचालित करने के लिए अपने पुत्र श्री दिग्विजय को लगाया। खेत के काम से खाली होने पर उन्होंने शिक्षण कार्य में भी भरपूर सहयोग दिया। मैंने अभिभावकों से सम्पर्क में पहले ही कह दिया था कि आप अपने बच्चों को सिर्फ स्कूल भेजिए। कॉपी, पेन्सिल आदि की व्यवस्था मै स्वयं कर दूँगा। बाकि सभी चीजें आपको सरकारी उपलब्ध हो रही हैं तो प्राइवेट स्कूल में पैसा लगाने की क्या जरूरत। शायद मेरी बात उनके समझ में आ गयी। मेरे विद्यालय की उपस्थिति प्रतिशत 80 से 90 के बीच हमेशा से रही है। इसका कारण सिर्फ घर-घर सम्पर्क। बच्चा दो दिन से गायब है तो मैं स्वयं घर पहुँच जाता था। बच्चों के परिवार वालों के बीच उनके सुख और दुःख में मैं हमेशा शामिल होने की कोशिश करता रहा हूँ। इसीलिए मैं उनके परिवार का एक सदस्य बन चुका हूँ। कुछ महीनों बाद श्री अम्बुज शर्मा जी स० अ० के रूप में मेरे साथ काम करने लगे। दोनों लोगों की सोच एक जैसी मिलने पर विद्यालय आगे की ओर अग्रसर होने लगा। ब्लॉक में इस विद्यालय की पहचान सामूहिक सहभागिता के कारण अलग से बनने लगी। बच्चों को विद्यालय की तरफ आकर्षित करने के लिए सभी राष्ट्रीय कार्यक्रम, जयन्ती, बाल दिवस, होली, दीपावली, रक्षाबन्धन, नया साल, कन्या भोज, ईद, बच्चों का जन्मदिन आदि कार्यक्रम बच्चों के मनमाफिक करने लगा। इन कार्यक्रमों में महिला एवं पुरुष अभिभावक बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने लगे। ये सब कार्यक्रम अपने वेतन के कुछ अंश एवं अपने पारिवारिक रिश्तेदारों से प्राप्त धन से होने लगा। पेन्सिल, रबर आदि नवरात्र, रमजान में लोगों से मिलती है। कापियाँ मुझे किसी न किसी नेक इंसान से कम कीमत में प्राप्त होती रहती हैं।

अप्रैल-2016 से स्कूल के कमजोर बच्चों के लिए विद्यालय अवकाश के बाद गाँव के सम्मानित बुजुर्ग व्यक्ति भगत जी के साथ शिक्षण कार्य प्रारम्भ किया था। जो अब प्रतिदिन भगत जी स्कूल में शाम 5 से 6 बजे तक संचालित कर रहे है एवं बाद में पेड़ों को पानी डलवाना एवं खेलकूद करवाना प्रतिदिन की दिनचर्या हो गयी है। पुरस्कार एवं सम्मान-  बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट एवं गाँव वालों को संतुष्टि, अधिकारियों एवं शिक्षकों का प्यार एवं आर्शीवाद मेरे जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार है।
मेरा सभी शिक्षक बन्धुओं से निवेदन है कि-- "अपना काम ईमानदारी से करेगें तो आपको जन समुदाय का इतना प्यार एवं सहयोग मिलेगा जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। विद्यालय को अपना घर एवं बच्चों, अभिभावकों को अपना परिवार मानकर देखिए। आपको पूर्ण संतुष्टि प्राप्त हो जायेगी।
धन्यवाद!
दुर्गेश कुमार (स○ अ○)
प्रा○ वि○ मत्तेपुर
वि○ खण्ड- सिधौली
जनपद- सीतापुर
मित्रों आपने एक सकारात्मक सोच और ऊर्जा के धनी शिक्षक के विचार पढ़े। जो निश्चित ही बेसिक शिक्षा के लिए अनमोल रत्न हैं।
मिशन संवाद की ओर से सम्पूर्ण विद्यालय परिवार को बहुत बहुत शुभकामनाएँ!
मित्रों आप भी बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिलाकर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ।
विमल कुमार
कानपुर देहात
12/06/2016

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