३९-अजीत कुमार प्रा० वि० बकुलहवा,दुदही,कुशीनगर

मित्रों आज हम आपका परिचय परिवर्तन के प्रतीक शिक्षक भाई अजीत कुमार सिंह जनपद- कुशीनगर से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी कार्यशैली से विद्यालय के बच्चों और अभिभावकों में विद्यालय के प्रति विश्वास जगाने में कामयाबी हासिल की है। जो हम आम शिक्षकों के लिए उपयोगी और प्रेरक हो सकती है। आपने अपनी कार्यशैली से ये सिद्ध करके दिखा दिया कि--
"जहाँ चाह, वहाँ राह"
तो आईये जानते हैं कि आपने कैसे धीरे- धीरे अभिभावकों और अपने बीच विश्वास का स्तम्भ खड़ा किया--
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मित्रों,
  जब मैं अजीत कुमार सिंह प्राथमिक विद्यालय बकुलहवाँ, विकास खण्ड- दुदही, जनपद- कुशीनगर में (जो बिहार की सीमा से लगा हुआ है) 2013 में प्रधानाध्यापक बन कर पहुँचा तो उस समय विद्यालय की स्थिति सामान्य से भी खराब थी। क्योंकि वहाँ एक सहायक अध्यापक जी ही थे। और उनकी कार्यशैली से गाँव के नागरिक उनका सहयोग नही करते रहे। क्योंकि विद्यालय की  व्यवस्थाएं अस्त- व्यस्त थी। इसलिए बच्चों की संख्या भी मात्र 45 थी। इसमें भी बच्चों की उपस्थिति बहुत चिंताजनक थी।
इन सब हालातों के बीच मेरे अन्दर का शिक्षक हमें बार- बार धिक्कारने लगा। जिससे हमने सबसे पहले अभिभावकों से सम्पर्क करना शुरू किया उनके मन के भावों को जाना और अपनी बात कही। धीरे - धीरे हमारे और अभिभावकों के बीच परिचय के साथ व्यवहारिक और विश्वास का संवाद शुरू हो गया। इससे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति में कुछ सुधार होना शुरू हुआ। जिससे हमारा मनोबल बढ़ने लगा। अब हमने बच्चों को टी○ वी○ के माध्यम से ज्ञानवर्धक फिल्में दिखाना शुरू किया। अधिक अंक और अधिक उपस्थिति वाले बच्चों और अभिभावकों के सम्मानित करना शुरू किया। जिससे अब क्षेत्र की जनता में विश्वास होने लगा कि प्रा○ वि○ बहुलहवाँ में पढ़ाई हो रही है। अब गाँव के अभिभावक और ग्राम प्रधान जी भी विद्यालय के विकास में सहयोग करने लगे। जिससे आज विद्यालय की छात्र संख्या 45 से बढ़कर 198 हो गई और उपस्थिति 90% से अधिक रहने लगी है। आज धीरे- धीरे वहाँ का परिवेश बदल गया। गाँव वालों में अपने बच्चों में बदलाव दिखाई देने लगा। तो वह विद्यालय के बगल में स्थित कान्वेंट स्कूल से अपने बच्चों को हमारे स्कूल में भेजने लगे। जबकि हमारे पहुँचने के एक माह बाद ही हमारे सहायक का प्रमोशन हो गया था। जिससे हम अकेले रह गए थे। लेकिन गाँव के शिक्षित भाईयों ने हमारा बहुत सहयोग किया। जिन्हें प्रधान जी द्वारा सम्मानित किया गया। इन सब कामों से प्रसन्न होकर गाँव के सम्मानित नागरिकों द्वारा खण्ड शिक्षा अधिकारी की उपस्थिति में हमें भी सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त खण्ड शिक्षा अधिकारी की अनुमति से न्याय पंचायत स्तर की खेल - कूद प्रतियोगिता का आयोजन भी करवाया। सत्र- 2014- 15 के लिए प्राथमिक शिक्षा में सराहनीय कार्यों के लिए जिलाधिकारी महोदय कुशीनगर द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। अब हमारे विद्यालय में मार्च- 2016 से दो सहायक शिक्षक भाई रवीन्द्र कुमार और राम एकबाल यादव भी आ गये हैं तो नये सत्र से हमें अब इनके सहयोग से विश्वास की नयी कहानी लिखनी बाकी है।
धन्यवाद!
मित्रों आपने अजीत कुमार सिंह जी के विश्वास भरे सराहनीय कार्यों को पढ़ा और समझा है तो निश्चित ही असम्भव नाम का शब्द बेईमानी नजर आने लगा होगा।
ऐसे कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक भाई अजीत सिंह जी को उनके सहयोगियों सहित मिशन संवाद की ओर से उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ बहुत- बहुत शुभकामनाएं!
मित्रों आप भी बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बनें और शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विस्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
विमल कुमार
कानपुर देहात
22/06/2016

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