माउंट एवरेस्ट

देख ऊँचाई एवरेस्ट की,

अच्छे-अच्छे थर्राते हैं।

है जुनून जिसके अन्दर,

एवरेस्ट वही चढ़ पाते हैं।


श्वेत वर्फ़ की चूनर ओढ़े,

चोटियाँ हमें लुभाती हैं।

आकर हमको गले लगाओ,

ये हमको पास बुलाती हैं।


धीरे-धीरे और हौले-हौले,

आ जाओ मेरे दीवानों।

रखना सब्र बहुत दिल में,

मत जल्दी करना मेरे यारों।


राह बड़ी दुर्गम मेरी,

सोच समझकर आना तुम।

साहस और धैर्य दिल में,

संग अपने लेकर आना तुम।


कहीं फिसलन है राहों पर,

कहीं पर तेज ढलान है।

कहीं गहरी खाई हैं तो,

कहीं बर्फ़ीले तूफान हैं।


थमने लगेंगी साँसें तेरी,

जब ऑक्सीजन ना पाएगा।

ठंडा पड़ेगा तन मन सारा,

कुछ भी समझ ना आएगा।


सही वक्त पर सही फैसला,

लेकर कदम बढ़ाना तुम।

ऊँची-ऊँची चट्टानों पर,

पकड़ मजबूत बनाना तुम।


ना जाने कितने दीवाने,

आए और आकर चले गए।

हार के हिम्मत ना जाने,

कितने मौत से हार गए।


होता जज्बा जिनके अन्दर,

वो ही मुझको पाता है।

किस्मत वाला ही मुझको,

आकर गले लगाता है।


हैं हौसलें ताकत जिसमें,

एवरेस्ट वही चढ़ पाता है।

करके फतह एवरेस्ट को,

जग में नाम कमाता है।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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